सालों से अपनों की बाट जोह रहीं अस्थियां, नहीं आए परिजन तो 'समाज सेवियों' ने उठाया विसर्जन का जिम्मा

Edited By Umakant yadav,Updated: 18 Jul, 2021 04:48 PM

for years the ashes were waiting for their loved ones

कोविड-19 ने विश्व स्तर पर अनेकों समस्याओं को जन्म दिया है। यहां तक कि खून के रिश्ते पराये हो गये। कोरोना काल की ऐसी ही 14 अस्थियों को जिन्हें साल भर से मोक्ष का इंतजार था, लेकिन जब कोई नहीं आया तो उन्हें आज परायों ने मोक्ष प्रदान कराया।

कानपुर: कोविड-19 ने विश्व स्तर पर अनेकों समस्याओं को जन्म दिया है। यहां तक कि खून के रिश्ते पराये हो गये। कोरोना काल की ऐसी ही 14 अस्थियों को जिन्हें साल भर से मोक्ष का इंतजार था, लेकिन जब कोई नहीं आया तो उन्हें आज परायों ने मोक्ष प्रदान कराया।

बता दें कि पिछले 1 साल से कोरोना ने मानव जीवन को बदल कर रख दिया। महामारी के इस दौर में इंसान अपने अस्तित्व को बचने के लिए एक ऐसा युद्ध लड़ रहा है, जो थमता नज़र नहीं आ रहा है। इस दौरान हमें समाज के कई चेहरे देखने को मिले। कोरोना से लड़ते हुए जिन लोगों ने अपनी जान गवां दी है, उन्होंने अपने परिजनों को भी अपने से बहुत दूर कर दिया है। जान गंवाने वालों के शवों का तो सरकारी तंत्र ने जैसे तैसे दाह संस्कार कर दिया था, परन्तु उनकी अस्थियां आज भी अपने परिजनों को ढूंढ रही थीं कि शायद कोई आकर उनका विसर्जन कर मोक्ष प्रदान कर दे। लेकिन लंबे इतंज़ार के बाद जब कोई नहीं आया तो, ऐसे लोगों के लिए एक स्वयं सेवी संस्था से जुड़े कुछ लोग आगे आए। उन्होंने ये समाजिक जिम्मेदारी अपने कंधे पर उठा ली और 14 अस्थि कलशों का गंगा किनारे मंत्रोच्चारण के साथ भू विसर्जन किया।

गौरतलब है कि कोविड का संक्रमण ना फैले इसके लिए कोविड से मरने वालों का दाह संस्कार विद्युत शवदाह गृह में कर दिया गया था। अस्पताल से कई शवों को लेने वाले लोग जब नहीं पहुंचे तो मानवीय भावनाओं का ख्याल रखते हुए उनका दाह संस्कार कर अस्थियों को सुरक्षित कर दिया गया। ताकि भविष्य में मृतक के परिजन आकर उनका विधिवत विसर्जन कर सकें। परन्तु अब 1 साल के बाद भी जब कोई नहीं आया, तो अब इस कार्य को विधिवत समाज के प्रबुद्ध लोगों द्वारा संपन्न कराया गया। साथ ही गंगा में प्रवाहित करने के बजाय अस्थियों का भू विसर्जन कर पर्यावरण संरक्षण को लेकर भी संदेश दिया।कोरोना जैसी महामारी ने कईयों को अपनों के लिए लावारिस बना दिया। कोरोना से लड़ाई में भले ही हमने इस बीमारी को मात ज़रूर दी हो, लेकिन इस वायरस ने सामाजिक ताने बाने को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया है।

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