शहीद किसानों के परिजन बोले-अजय मिश्रा की बर्खास्तगी, कानून वापसी का लिखित आदेश तक जारी रहेगी लड़ाई

Edited By Ramkesh,Updated: 20 Nov, 2021 06:38 PM

families of martyr farmers said  ajay mishra s dismissal

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया में तीन अक्टूबर को किसानों के प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में मारे गये किसानों के परिजनों ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा को बहुत देर से उठाया गया कदम...

लखीमपुर खीरी: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया में तीन अक्टूबर को किसानों के प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में मारे गये किसानों के परिजनों ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा को बहुत देर से उठाया गया कदम बताया। किसानों के परिजनों ने कृषि कानून वापस लिए जाने के बावजूद केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा की बर्खास्तगी, कानून वापसी के लिखित आदेश व न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी मिलने तक अपनी लड़ाई जारी रखने का दावा किया है। किसानों के परिजनों ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा का स्वागत किया लेकिन कहा कि उनके नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती।

खीरी जिले की पलिया तहसील के चौखरा फार्म के सतनाम सिंह ने तीन अक्टूबर को तिकुनिया हिंसा में अपने इकलौते बेटे लवप्रीत सिंह को खो दिया था। तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए सतनाम ने कहा कि उनके नुकसान की भरपाई कोई नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि अगर यह कदम महीनों पहले लिया गया होता तो आज उनका बेटा भी उनके साथ होता। कुछ ऐसी ही भावनाओं को व्यक्त करते हुए जिले की धौरहरा तहसील के नामदारपुरवा के जगदीप ने कहा कि इतनी देर से कानूनों को निरस्त करने का फैसला उनके पिता को वापस नहीं ला सकता। जगदीप ने तीन अक्टूबर की हिंसा में अपने पिता नक्षत्र सिंह को खो दिया था। लखीमपुर हिंसा में मारे गए बहराइच जिले के दो किसानों के परिजनों ने कृषि कानून वापस लिए जाने के बावजूद केंद्रीय गृह राज्य मंत्री मिश्रा की बर्खास्तगी, कानून वापसी के लिखित आदेश व एमएसपी की गारंटी मिलने तक अपनी लड़ाई जारी रखने की बात कही।

खीरी की हिंसा में जान गंवाने वाले किसान गुरविंदर सिंह के पिता सुखविंदर सिंह ने शनिवार को कहा, "प्रधानमंत्री द्वारा कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा से हमें किसानों के लिए खुशी हुई है। आंदोलन जारी रखने को लेकर किसान संगठनों के वरिष्ठ नेता जो फैसला लेंगे उसे हम मानेंगे भी, लेकिन इस संबंध में हमारा मत है कि कानून वापसी के निर्णय के बारे में सरकार जब तक लिखकर ना दे तथा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा 'टेनी' की बर्खास्तगी अथवा इस्तीफा ना हो जाए तब तक किसानों को अपना आंदोलन जारी रखना चाहिए।" गुरविंदर के भाई गुरसेवक ने कहा, "चुनाव नजदीक हैं तो प्रधानमंत्री ने कानून वापस लेने की घोषणा कर दी है, लेकिन इससे आधी जीत ही हुई है। प्रधानमंत्री ने अभी एमएसपी की गारंटी नहीं दी है। किसानों की सभी मांगों को सरकार पूरा करेगी तभी शहीद भाई की आत्मा को शांति मिलेगी। प्रधानमंत्री के फैसले की सराहना करता हूं, लेकिन मांग पूरी होने तक लड़ाई जारी रहेगी।

 बहराइच जिले के किसान दलजीत सिंह की मौत के बाद उनका परिवार भी केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र का इस्तीफा मांग रहा है। गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी में एक एसयूवी द्वारा चार किसानों को उस वक्त कुचल दिया गया था, जब केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे एक समूह ने तीन अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की यात्रा के खिलाफ प्रदर्शन किया था। गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर दो भाजपा कार्यकर्ताओं और उनके चालक की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी और हिंसा में एक स्थानीय पत्रकार की मौत हो गई थी। इस मामले में गृह राज्य मंत्री मिश्रा के बेटे आशीष समेत कई लोगों के खिलाफ हत्या समेत भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। इस हिंसा में मारे गये दो किसान खीरी जिले के जबकि दो किसान बहराइच जिले के निवासी थे। 

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