फतेहपुर में तोड़फोड़ की घटना में भाजपा कार्यकर्ता शामिल, दोषियों को बचा रही योगी सरकार: अखिलेश

Edited By Ramkesh,Updated: 13 Aug, 2025 03:54 PM

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समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में एक मजार में तोड़फोड़ की घटना में भाजपा कार्यकर्ताओं के शामिल होने का आरोप लगाया। यादव ने साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर दोषियों को बचाने की कोशिश करने...

लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में एक मजार में तोड़फोड़ की घटना में भाजपा कार्यकर्ताओं के शामिल होने का आरोप लगाया। यादव ने साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर दोषियों को बचाने की कोशिश करने का आरोप भी लगाया। यादव ने कहा कि लोगों को रोजगार चाहिए, सांप्रदायिक राजनीति नहीं।

यादव झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि देने यहां आए थे। शिबू सोरेन का हाल में निधन हो गया था। दक्षिणपंथी समूहों के सदस्य सोमवार को मकबरे के परिसर में घुस गए और कब्रों को क्षतिग्रस्त कर दिया। दक्षिणपंथी समूहों के सदस्यों ने दावा किया कि उक्त स्थल एक हिंदू मंदिर स्थल है और वहां पूजा करने की अनुमति मांगी। यादव ने लखनऊ लौटते समय रांची के बिरसा मुंडा हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "(उत्तर प्रदेश) सरकार फतेहपुर की घटना पर क्या कर रही है? उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री इसमें शामिल लोगों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। हर कोई जानता है कि वे कौन हैं। वे भाजपा के नेता और कार्यकर्ता हैं।" सपा प्रमख ने आरोप लगाया कि भाजपा हिंदू-मुसलमान के नाम पर नफरत फैलाती है।

उन्होंने कहा, ‘‘फतेहपुर की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। वीडियो फुटेज में दिख रहे लोगों को जेल भेजा जाना चाहिए। अगर प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस उन्हें जेल नहीं भेज रहे हैं, तो सरकार को उनके खिलाफ एक फैसला लेना चाहिए। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि सांप्रदायिक राजनीति देश को नुकसान पहुंचा रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने ब्रिटिश विचारधारा "फूट डालो और राज करो" को अपना लिया है।

वहीं श्रीनगर में नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने उत्तर प्रदेश में एक सूफी मकबरे में तोड़फोड़ की मंगलवार को निंदा की और इसे सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने और देश की धर्मनिरपेक्ष नींव को कमजोर करने का जानबूझकर किया गया प्रयास बताया। अब्दुल्ला ने एक बयान में कहा, "किसी भी उपासनास्थल का अपमान अस्वीकार्य है, लेकिन एक सूफी दरगाह को निशाना बनाना, जो भारत की सदियों पुरानी समन्वयकारी संस्कृति और आध्यात्मिक समावेशिता की परंपरा का प्रतिनिधित्व करती है, विशेष रूप से दुखद है।
 

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