Edited By Anil Kapoor,Updated: 31 May, 2025 12:20 PM

Allahabad News: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में वक्फ के नाम पर एक बड़ा घोटाला सामने आया है। यह मामला उस समय सामने आया जब यह पता चला कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की जमीन पर मदरसा, मस्जिद और अन्य निर्माण अवैध रूप से किए गए हैं। इतना ही...
Allahabad News: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में वक्फ के नाम पर एक बड़ा घोटाला सामने आया है। यह मामला उस समय सामने आया जब यह पता चला कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की जमीन पर मदरसा, मस्जिद और अन्य निर्माण अवैध रूप से किए गए हैं। इतना ही नहीं, इन संपत्तियों से किराया भी वसूला जा रहा था, जबकि जमीन सरकारी है।यह पूरा मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा, जहां अदालत ने इसे एक 'अनोखा मामला' बताते हुए याचिका खारिज कर दी।
क्या है पूरा मामला?
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सहारनपुर में एक मदरसा जिसका नाम 'कासिम उल उलूम' है, उसने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की। याचिका में कहा गया कि NHAI और प्रशासन को वहां की संपत्तियों को गिराने से रोका जाए, क्योंकि वह जमीन वक्फ की है। साथ ही, याचिकाकर्ता ने किसी भी नए निर्माण पर भी रोक लगाने की मांग की। लेकिन जब अदालत में जांच हुई, तो यह साफ हुआ कि वह जमीन NHAI की है, और वक्फ बोर्ड में उस संपत्ति का कोई भी पंजीकरण नहीं है। यानि, वक्फ का जो दावा था वह पूरी तरह से मौखिक था, कोई सबूत पेश नहीं किया गया।
अदालत की टिप्पणी और आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की और कहा कि याचिकाकर्ता यह साबित नहीं कर सका कि यह जमीन वक्फ की है। वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत किसी भी दस्तावेज से यह सिद्ध नहीं हुआ कि संपत्ति पंजीकृत वक्फ है। इसलिए, कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकारी जमीन पर इस तरह कब्जा करना कानूनन गलत है, और मौखिक दावों पर किसी को संरक्षण नहीं दिया जा सकता।
पिछली सुनवाईयों का भी जिक्र
इस मामले की सुनवाई पहले निचली अदालत में भी हुई थी, जहां प्रतिवादी पक्ष (सरकार/NHAI) ने एक संशोधन याचिका दाखिल की थी। वह याचिका मान ली गई थी। इसके खिलाफ वक्फ पक्ष ने एक पुनरीक्षण याचिका दाखिल की, जिसे भी खारिज कर दिया गया। जब यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा, तो वहां भी वक्फ की दलीलें अधूरी और बिना सबूत के पाई गईं।
क्या कहा गया फैसले में?
यह आदेश 12 मई को पारित किया गया था और 30 मई (शुक्रवार) को इसे सार्वजनिक किया गया। कोर्ट ने दो टूक कहा कि जब जमीन सरकारी है और उस पर वक्फ का कोई कानूनी दावा नहीं है, तो वहां बनाए गए निर्माण अवैध माने जाएंगे।