69 हजार शिक्षक भर्ती मामला:  क्या कोर्ट के आदेश के पर चयनित अभ्यर्थियों की जाएगी नौकरी?

Edited By Ramkesh,Updated: 17 Aug, 2024 03:21 PM

69 thousand teacher recruitment case will the selected candidates

उत्तर प्रदेश में 69 हजार सहायक ( Uttar Pradesh 69000 Teacher Recruitment ) शिक्षक अभ्यर्थियों की बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा तैयार की गई चयनित अभ्यर्थियों की सूची को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ डबल बेंच रद्द करते हुए नए सिरे से चयन सूची बनाने का आदेश...

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 69 हजार सहायक ( Uttar Pradesh 69000 Teacher Recruitment ) शिक्षक अभ्यर्थियों की बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा तैयार की गई चयनित अभ्यर्थियों की सूची को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ डबल बेंच रद्द करते हुए नए सिरे से चयन सूची बनाने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट के इस फैसले का यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने स्वागत किया है।

दरअसल, न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने शिक्षक भर्ती मामले में 2019 में हुई 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती के चयनित अभ्यर्थियों की सूची नए सिरे से जारी करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने एक जून 2020 और पांच जनवरी 2022 की चयन सूचियां को दरकिनार कर नियमों के तहत तीन माह में नई चयन सूची बनाने के निर्देश दिए हैं। न्यायमूर्ति ए आर मसूदी और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने आरक्षण कोटे का सही से अनुपालन न किए जाने के मामले में पिछले साल 13 मार्च को दिए गए एकल पीठ के फैसले को चुनौती देने वाली अशोक यादव व अन्य अभ्यर्थियों की 90 विशेष अपील पर यह फैसला दिया है।

यहां समझिए अध्यापकों की भर्ती  विवाद 
दरअसल, यूपी सरकार ने 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए दिसंबर 2018 में विज्ञापन निकाला थी। जिसके लिए जनवरी 2019 में परीक्षा का आयोजन किया गया था। उसके बाद परीक्षा में धांधली का आरोप लगा। यूपी सरकार ने जांच कराई उसके बाद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई हुई।  सरकार ने छात्रों को विश्वास दिलाया कि किसी भी छात्र के साथ गलत नहीं होगा। उसके बाद भर्ती प्रक्रिया को पूरा करने के लिए मेरिट लिस्ट जारी की गई। मेरिट को लेकर बवाल हुआ। अभ्यर्थियों ने इलाहाबाद कोर्ट में याचिका दाखिल की उसके बाद कोर्ट ने भर्ती पर रोक लगा दिया।

शिक्षक भर्ती में ओबीसी और एससी आरक्षण का नहीं हुआ पालन
सरकार ने  इसके बाद 1 जून 2020 को 67,867 शिक्षकों के चयन की लिस्ट जारी की जाती है। याची ने बताया कि 'परीक्षा के बाद जो मेरिट लिस्ट सरकार के द्वारा बनाई जाती है उसमें क्वालिटी पॉइंट को छुपा लिया गया और उत्तर प्रदेश में आरक्षण की जो व्यवस्था है जिसमें ओबीसी को 27 % एससी को 21 % रिजर्वेशन नहीं दिया गया।  हम लोगों ने विभाग के अधिकारी से लेकर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग तक इसकी शिकायत कर बताया की ओबीसी को सिर्फ 3.86% और एससी को 16.2% का कोटा ही मिला।

सरकार बोली- भर्ती में कोई गड़बड़ी नहीं हुई
अभ्यर्थियों ने बताया कि 'जब हमारी तरफ से हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच में एक पिटीशन फाइल की गई तो सरकार की तरफ से काउंटर दाखिल किया गया जिसमें कहा गया कि इस भर्ती में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है, लेकिन हम लोगों ने सुनवाई के दौरान कोर्ट में तमाम तथ्य रखे, इसी दौरान विधानसभा चुनाव आ गए और 5 जनवरी 2022 को सरकार की तरफ से कहा गया कि मेरिट लिस्ट में आरक्षण का सही से पालन नही किया गया।  6800 की सीटों का आरक्षित वर्ग को नुकसान हुआ है और 6800 व्यक्तियों की एक लिस्ट जारी कर दी।

शिक्षकों की कमी का हवाला देखकर सरकार ने की शिक्षक भर्ती
सरकार ने कोर्ट में शिक्षकों की कमी का हवाला देकर बच्चों के भविष्य की दलील पर नियुक्ति की थी, भर्ती पर तो कोर्ट पहले ही दिन से रोक लगा रही थी, इसलिए जो गलत तरीके से नियुक्त हुए हैं, उन्हीं की नौकरी खतरे में है। इसमें सामान्य वर्ग से चयनित अभ्यर्थियों की ही नौकरी जाएगी, आदेश हुआ है कि अगर हम आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी हैं, लेकिन हमारे नंबर सामान्य के बराबर आते हैं तो हमारी गिनती आरक्षित की बजाय सामान्य में की जाएगी। 50 फीसदी जो सामान्य कोटा होता है, वह सभी वर्ग के लिए होता है, किसी वर्ग विशेष के लिए नहीं होता. जो आरक्षित वर्ग की सीट खाली होगी, उसमें आरक्षित वर्ग की मेरिट में के नीचे का कैंडिडेट मेरिट में ऊपर आ जाएगा। 

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