वाराणसी: मजदूरों तक नहीं पहुंच रहा सरकारी स्वर्णिम योजनाओं का लाभ

Edited By Ajay kumar,Updated: 08 Nov, 2019 07:25 PM

varanasi benefits of government golden schemes not reaching laborers

यूपी के वाराणसी में जहां हर वर्ष लाखों की संख्या में देश दुनिया के पर्यटक आते हैं वहीं एक तबका ऐसा भी है जो दो जून की रोटी के लिए अपने शहर गांव को छोड़कर दूसरे शहर में रोजी रोजगार के लिए जाता है और वहीं...

वाराणसी: यूपी के वाराणसी में जहां हर वर्ष लाखों की संख्या में देश दुनिया के पर्यटक आते हैं वहीं एक तबका ऐसा भी है जो दो जून की रोटी के लिए अपने शहर गांव को छोड़कर दूसरे शहर में रोजी रोजगार के लिए जाता है और वहीं बस जाता है। महानगरों के अलावा वाराणसी पूर्वांचल एक ऐसा जिला है जहां लाखों मजदूर मजदूरी के लिए आते हैं। लेकिन काम की कमी से इनके घर में शाम को चूल्हा जलेगा या नहीं ये इन्हें पता नहीं होता है।
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बता दें कि वाराणसी के हुकुलगंज इलाका जहां खड़े ये मजदूर अपने लिए रोजगार की तलाश में हैं। दरअसल इनका काम ही ऐसा है कि रोज कमाओ रोज खाओ। रोजाना रोजगार खोजना इनका मकसद रहता है। इन मजदूरों को साल में 100 से 150 दिन तक ही काम मिल पाता है ऐसे में इनके घर का खर्च, बच्चों की पढ़ाई, किताबें, कपड़े बमुश्किल ही पूरा हो पाता है।
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वहीं सरकार ने इनके लिए कुछ योजनाएं चलाई हैं लेकिन अफसोस इन्हें इन सरकारी स्कीमों के बारे में पता ही नहीं है। ऐसा सिर्फ इस इलाके के मजदूरों का ही नहीं बल्कि सभी क्षेत्रों के मजदूरों का है। जब इन राजगीरों से बात की गई तो इन्होंने बताया कि इनका रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है और न ही इन्हें सरकारी योजनाओं के बारे में कोई जानकारी है।
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बनारस में लगभग 80,000 श्रमिक पंजीकृत: अधिकारी
वहीं जब श्रम विभाग के अधिकारी संदीप सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि भवन निर्माण से जुड़े मजदूरों के लिए सरकार की तरफ से अच्छी योजनाएं हैं। श्रम विभाग की तरफ से एक बोर्ड का गठन भी किया गया है जिसमे 18 से 60 वर्ष के श्रमिकों का पंजीकरण होता है। जो पिछले 12 महीनों में 90 दिन तक भवन निर्माण का कार्य किये हों। इस बोर्ड के अंतर्गत लगभग 17 तरह की योजनाएं हैं। जिसमे जन्म से लेकर मृत्यु तक कि योजना शामिल है। इसके अलावा मृत्यु पर्यंत आर्थिक सहायता के लिए राशि भी मुहैया कराई जाती है। 18 साल बाद बेटी की शादी के लिए सहायता, बच्चों के पढ़ाई के लिए कई योजनाएं शामिल हैं। बनारस में लगभग 80,000 श्रमिक पंजीकृत हैं और इन्हें योजनाओं के लाभ के लिए समय समय पर कैम्प भी लगाए जाते हैं।

सरकार पर उठ रहे सवाल
सरकार भले ही संगठित या असंगठित मजदूरी के लिए तरह तरह की योजनाएं लाती हैं और श्रम विभाग मजदूरों तक योजनाएं पहुंचाने के दावे भी करती है। लेकिन हकीकत आपके सामने है जब कई मजदूरों को ये तक नहीं पता कि इन्हें पंजीकरण कराना है। जिसके बाद वो विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।

 

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