यूपी पंचायत चुनावः गांवों में तेज हुई सरगर्मी, मतदाताओं को लुभाने के लिए दलों ने शुरू की गुटबाजी

Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 22 Jan, 2021 01:02 PM

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उत्तर प्रदेश में बस्ती मण्डल के तीनों जिलों बस्ती,सिद्धार्थनगर तथा संतकबीरनगर मे पंचायत चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गयी है। प्रदेश सरकार द्वारा पंचायत चुनाव कराए जाने के...

बस्ती:  उत्तर प्रदेश में बस्ती मण्डल के तीनों जिलों बस्ती,सिद्धार्थनगर तथा संतकबीरनगर मे पंचायत चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गयी है। प्रदेश सरकार द्वारा पंचायत चुनाव कराए जाने के संकेत दिए जाने के बाद से ही गवई राजनीति चरम पर है तथा इसे लेकर गांवों में गुटबाजी शुरू हो गई है।मतदाताओं को लुभाने के लिए गुट प्रेरित कर रहे हैं। पुलिस पंचायत चुनाव को सकुशल ढंग से सम्पन्नन कराने के लिए तेजी से तैयारी कर रही है ।

बता दें कि भारतीय जनता पार्टी जीतने वाला प्रत्याशी उतारने का प्रयास कर रही है तो आम आदमी पार्टी भी पंचायत चुनाव मे अपनी उमीदवार उतारने के लिए बैठक कर रही है। फिलहाल अभी तक अधिकाधिक तौर पर आरक्षण की स्थिति स्पष्ट नहीं होने से प्रधान और जिला पंचायत सदस्य पद के संभावित प्रत्याशी खुलकर प्रचार अभियान में नही निकल रहे हैं ।

चुनाव के संकेत मिलते ही हरकत में आई पुलिस टीम गांवों में जाकर चुनाव संबंधी जानकारी हांसिल करने मे जुट गई है। कुल मिलाकर चुनावी बिगुल बज चुका है। जिसके बाद से गांवों में गुटबाजी शुरू हो गई है। लोक सभा क्षेत्र बस्ती के सांसद हरीश द्धिवेदी भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मन्त्री हैं। वहीं सिद्वार्थनगर जिले मे प्रदेश सरकार मे इटवा के विधायक सतीश चन्द्र द्धिवेदी राज्य मन्त्री स्वतन्त्र प्रभार तथा बांसी के विधायक राजा जय प्रताप सिंह कैबिनेट मन्त्री है। संकबीरनगर जिले विधानसभा क्षेत्र घनघटा के विधायक श्रीराम चौहान राज्य मन्त्री हैं। अब देखना है कि तीन मन्त्री होने के बाद पंचायत चुनाव मे भारतीय जनता पार्टी की मण्डल मे क्या स्थिति रहेगी।वर्तमान समय मे सत्ताधारी तो मैदान मे है ही लेकिन विपक्ष भी पीछे नही है पूरी ताकत से पंचायत चुनाव मे लगा हुआ है।       

पंचायत चुनाव मार्च और अप्रैल माह में कराए जाने के प्रदेश सरकार द्वारा संकेत दिए जाने के बाद से पंचायतों में माहौल गर्म हो गया है। मतदाता सूची संशोधन व नाम बढ़ाए जाने का काम लगभग पूरा हो चुका है। प्रधान और जिलापंचायत सदस्य पद के प्रत्याशियों ने गांवों मे अपनी उम्मीदवारी जाहिर करने के लिए व्यवहारिक रूप से मतदाताओं से संपकर् शुरू कर दिया है। हांलाकि अभी तक आरक्षण की थिति स्पष्ट नही है शीध्र ही आरक्षण की रिर्पोट आयेगी।इस कारण प्रत्याशी खुलकर प्रचार अभियान में नही निकल रहे है। उन्हें यह भय सता रहा है कि प्रचार अभियान तेज करने से खर्च बढ़ जाएगा।यदि सीट का आरक्षण बदल गया तो किए कराए पर पानी फिर जाएगा सामान्य वर्ग के प्रत्याशी अभी अपना पत्ता नही खोल रहे हैं।

 

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