जिनके आंखों में नहीं है रोशनी उनके सपनों में देश को रोशन करने की चाहत

Edited By Ajay kumar,Updated: 25 Oct, 2019 02:38 PM

those who do not have light want to illuminate the country in their dreams

पूरे देश में खुशियों का त्यौहार दीपावली आने वाली है। जिसमें अन्धकार को दूर करने के लिए दीपक जलाये जाते हैं। मगर उस अन्धकार को कैसे दूर करें जो हमारे अन्दर है। बनारस के कुछ बच्चों ने पूरे देश को यह सन्देश दिया है की अंधेरा दूर करना...

वाराणसी: पूरे देश में खुशियों का त्यौहार दीपावली आने वाली है। जिसमें अन्धकार को दूर करने के लिए दीपक जलाये जाते हैं। मगर उस अन्धकार को कैसे दूर करें जो हमारे अन्दर है। बनारस के कुछ बच्चों ने पूरे देश को यह सन्देश दिया है की अंधेरा दूर करना है तो सबसे पहले अपने अन्दर का अंधेरा  दूर करना चाहिए। बनारस के जीवन ज्योति अंध विद्यालय के बच्चों ने दीपावली को देखते हुए कई प्रकार के दीपक और 7 प्रकार की रंग-बिरंगी मोमबत्तियां बनाई है। ऐसा कर बच्चों ने मिसाल पेश किया है कि खुद को रोशनी न होते हुए भी दूसरों का घर कैसे रोशन किया जाता है। इमोशन्स इतने की आंखों से ना देख पाने के बावजूद रोशनी के बारे में बताने पे उन्हें काफी खुशी मिलती है।
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जानकारी मुताबिक जीवन ज्योति अंध विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चें जो आंखों से देख नहीं सकते, उन्होंने दूसरों की जिंदगी को रोशन करने का बीड़ा उठाया है। इनमे से कई बच्चे नेत्र हीन, मेंटली रिटायर्ड, हियरिंग इम्पेयर्ड और फिजिकली हैंडीकैप हैं और कुछ समझ भी नहीं सकते। ऐसे बच्चों को मोमबत्ती और दीपक बनाना सिखाया गया। इन्होंने अपनी मेहनत और लगन से कई प्रकार की मोमबत्तियां बनाई हैं। जो बच्चे रंगों की पहचान नहीं कर सकते उन बच्चों ने दीपक में रंग भरे हैं। जिन बच्चों ने कभी रोशनी नहीं देखी उन बच्चों ने दीवाली के दिन कई घरों को रोशन करने का सामान तैयार किया है।
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विद्यालय का उद्देश्य बच्चों को आत्मनिर्भर बनाना: अध्यापिका
अध्यापिका प्रदीपा ने बताया कि इन बच्चों के द्वारा बनाये गए सारे सामानों को मार्केट में बेचा जाता है। उससे जो पैसे मिलते हैं वो इन बच्चों को ही दे दिया जाता है। या इन पर ही खर्च किया जाता है। इस विद्यालय का उद्देश्य है की इन बच्चों को जो हर तरह से माजुर हैं, गरीब हैं और गाँव में रहते है उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाय ताकि वो जमाने के साथ-साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चल सकें।
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मेहनत और लगन से कार्य करने पर मिलती सफलता: छात्रा
वहीं दिव्यांग छात्रा अनिका गुप्ता शायरी अंदाज में बोलीं कि- “कौन कहता है की आसमान में सुराग नहीं हो सकता, बस एक पत्थर तबियत से उछालो तो यारों छेद भी हो सकता है” “असफलता तो तब मिलती है जब सफलता का कार्य पूर्ण मन से नहीं किया जाता”। 

इनका कहना है कि कड़ी मेहनत और लगन से किये गये कार्य में सफलता जरूर मिलती है।    

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