'मुझे कुछ नहीं चाहिए, बस पति को मिले शहीद का दर्जा', पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए शुभम की पत्नी ने सरकार से की मांग

Edited By Anil Kapoor,Updated: 27 Apr, 2025 08:01 AM

shubham s wife demanded to give him the status of martyr

Kanpur News: पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए कानपुर के शुभम द्विवेदी की पत्नी ऐशन्या ने मांग की कि उनके पति को शहीद का दर्जा दिया जाए। पत्रकारों से बातचीत में ऐशन्या ने कहा कि उन्हें सरकार से और कुछ नहीं चाहिए बस आतंकी हमले में मारे गए उनके पति शुभम...

Kanpur News: पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए कानपुर के शुभम द्विवेदी की पत्नी ऐशन्या ने मांग की कि उनके पति को शहीद का दर्जा दिया जाए। पत्रकारों से बातचीत में ऐशन्या ने कहा कि उन्हें सरकार से और कुछ नहीं चाहिए बस आतंकी हमले में मारे गए उनके पति शुभम द्विवेदी को शहीद का दर्जा दिया जाना चाहिए। ऐशन्या ने कहा कि पहली गोली मेरे पति को लगी और फिर आतंकवादियों ने यह पूछा कि हम हिंदू हैं या मुसलमान... ऐसे में कई लोगों को भागकर अपनी जान बचाने का समय मिल गया।

बस शुभम को शहीद का दर्जा मिलना चाहिए: पत्नी ऐशन्या
उन्होंने कहा कि मुझे सरकार से और कुछ नहीं चाहिए, बस शुभम को शहीद का दर्जा दिया जाए। अगर सरकार मेरी इच्छा स्वीकार करती है तो मुझे भी जीने का मकसद मिल जाएगा। शुभम ने खुद को हिंदू बताकर गर्व के साथ अपनी जान कुर्बान की और उसने कई लोगों की जान भी बचाई है। ऐशन्या ने कहा कि नाम और धर्म पूछकर गोली चलाने वाले को खत्म कर देना चाहिए।

ऐशन्या ने आतंकवादी हमले की दर्दनाक यादें की साझा
ऐशन्या ने 22 अप्रैल की घटना को याद करते हुए बताया कि जब आतंकवादी उसके और शुभम के पास आए और उनसे उनके धर्म के बारे में पूछा, तो उन्हें लगा कि वे लोग दंपति के साथ मज़ाक कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जैसे ही वे आए, उनमें से एक ने पूछा कि हम हिंदू हैं या मुसलमान? मुझे लगा कि वे लोग (आतंकवादी) मज़ाक कर रहे हैं। मैं पीछे मुड़ी, हंसी और उनसे पूछा कि क्या है। उन्होंने कहा, ‘‘फिर उन्होंने अपना सवाल दोहराया और जैसे ही मैंने जवाब दिया कि हम हिंदू हैं, एक गोली चल गई और मेरे लिए सब कुछ खत्म हो गया। शुभम का चेहरा खून से लथपथ था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या हुआ था।

'कोई सुरक्षा नहीं थी'-शुभम के पिता का गुस्सा, सुरक्षा व्यवस्था पर उठाए सवाल
ऐशन्या ने कहा कि उन्होंने आतंकवादियों से उन्हें भी गोली मारने की विनती की, लेकिन उन्होंने (आतंकवादियों) मना कर दिया और कहा कि वे उसे जीवित रहने दे रहे हैं ताकि वह जाकर सरकार को बता सके कि उन्होंने क्या किया है। शुभम के पिता संजय द्विवेदी ने संवाददाताओं से कहा कि वहां कोई सुरक्षा नहीं थी, ना ही कोई पुलिस कर्मी था, ना ही सेना के जवान। यहां तक कि कोई सुरक्षा गार्ड भी नहीं था। उन्होंने कहा कि करीब एक घंटे बाद सेना के जवानों ने पूरे इलाके को अपने नियंत्रण में लिया। 

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