Edited By Mamta Yadav,Updated: 18 Jul, 2025 09:15 PM

ममता की मूरत एक बार फिर सड़कों पर देखने को मिली, जब 13 साल से लापता एक बेटा साधु बनकर अपनी मां के दरवाजे पर भिक्षा मांगने पहुंचा। मां ने बिना किसी संदेह के उसे पहचान लिया और गले लिपटकर फूट-फूटकर रोने लगी।
Jaunpur News: ममता की मूरत एक बार फिर सड़कों पर देखने को मिली, जब 13 साल से लापता एक बेटा साधु बनकर अपनी मां के दरवाजे पर भिक्षा मांगने पहुंचा। मां ने बिना किसी संदेह के उसे पहचान लिया और गले लिपटकर फूट-फूटकर रोने लगी।
मां की ममता ने साधु को पहचान लिया
बता दें कि यह मार्मिक घटना जौनपुर जिले के चंदवक थाना क्षेत्र के बलरामपुर गांव की है, जहां 2012 में पति की मृत्यु के कुछ ही समय बाद महिला का बड़ा बेटा राकेश लापता हो गया था। उस समय राकेश की उम्र मात्र 19 वर्ष थी। तेरह वर्षों तक कोई जानकारी नहीं मिलने के बावजूद मां ने बेटे के लौटने की आस नहीं छोड़ी थी। बुधवार को एक साधु वेशधारी युवक जब भिक्षा मांगते हुए गांव पहुंचा, तो मां ने उसे पहचान लिया। साधु ने पहले पहचानने से इनकार किया, लेकिन मां की पुकार और आंसुओं के आगे वह टूट गया और गले लगकर रोने लगा।
साधु के वेश में दिखा ननिहाल के पास
स्थानीय लोगों के अनुसार, साधु को गाजीपुर जिले के अमेना गांव (उसका ननिहाल) में भी देखा गया था। चंदवक बाजार में दुर्गा मंदिर और रामलीला मंच के पास एकत्र लोगों के बीच उसकी मौजूदगी की खबर मिलते ही मां अपने छोटे बेटे के साथ मौके पर पहुंची। जैसे ही मां ने उसे देखा, साधु वहां से निकलने लगा, लेकिन लोगों की मदद से उसे रोक लिया गया।
राकेश है मौन, अब भी नहीं बोला एक शब्द
घर लौटने के बाद भी राकेश अब तक चुप है। उसने यह नहीं बताया कि इन तेरह वर्षों में वह कहां था और कैसे साधु बन गया। फिलहाल परिवार उसे सामान्य जीवन में लाने की कोशिश कर रहा है। गांव में यह मामला चर्चा का केंद्र बन गया है। लोग इस पुनर्मिलन को चमत्कार कह रहे हैं। मां की आंखों में आंसू और चेहरे पर संतोष का भाव हर किसी को भावुक कर रहा है।