Edited By Ramkesh,Updated: 11 Aug, 2025 01:51 PM

बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में कथित अनियमितताओं को लेकर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही सोमवार को शुरू होने के कुछ ही मिनट बाद दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। पूर्वाह्न 11 बजे सदन की बैठक...
यूपी डेक्स: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में कथित अनियमितताओं को लेकर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही सोमवार को शुरू होने के कुछ ही मिनट बाद दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। पूर्वाह्न 11 बजे सदन की बैठक शुरू होने पर आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखे गए। इसके बाद ही एसआईआर के मुद्दे पर हंगामा होने लगा और विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते हुए अपने स्थानों से आगे, आसन के समीप आ गए। उपसभापति हरिवंश ने बताया कि उन्हें पांच विषयों पर चर्चा करने के लिए नियम 267 के तहत 29 नोटिसों प्राप्त हुए हैं जिन्हें उन्होंने नियमानुरूप न होने के कारण खारिज कर दिया गया है।
अदालत में विचाराधीन मामले पर सदन में चर्चा नहीं की जा सकती
नियम 267 तय कार्यसूची के कामकाज को स्थगित कर तत्काल मुद्दे पर चर्चा की अनुमति देता है। हरिवंश ने बताया कि नोटिस पांच अलग-अलग विषयों पर थे, जिनमें से 11 नोटिस विधिवत प्रस्ताव के प्रारूप में नहीं थे। उन्होंने बताया कि बाकी 18 नोटिस ऐसे मामलों पर चर्चा से संबंधित थे जो वर्तमान में अदालत में विचाराधीन हैं। उन्होंने कहा कि संसद की चर्चा से अदालत की कार्यवाही पर किसी तरह का प्रभाव न पड़े, इसके लिए प्रक्रिया नियमों में उप-न्यायिक सिद्धांत शामिल किया गया है। इसके तहत, अदालत में विचाराधीन मामले पर सदन में चर्चा नहीं की जा सकती। उपसभापति ने कहा कि उच्च न्यायालय और उच्च प्राधिकार के व्यक्तियों पर चर्चा नियम 238(5) के तहत केवल ठोस प्रस्ताव के माध्यम से ही की जा सकती है अन्यथा नहीं।
लोक महत्व के 210 मुद्दे उठाने का अवसर
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि नियम 267 का उपयोग केवल ‘अत्यंत दुर्लभ' मामलों में किया जा सकता है और मौजूदा नोटिस नियमों के अनुरूप नहीं थे, इसलिए उन्होंने उन्हें स्वीकार नहीं किया। इस पर विपक्षी सदस्यों विरोध जताया। उनसे अपने स्थानों पर लौट जाने और कार्यवाही चलने देने की अपील करते हुए हरिवंश ने कहा कि शून्यकाल और प्रश्नकाल सदस्यों का समय होता है और यह बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे सरकार की जवाबदेही तय होती है। हरिवंश ने कहा कि वर्तमान मानसून सत्र में सदन के सदस्यों के पास आज तक 210 तारांकित प्रश्न पूछने का, शून्यकाल के तहत 210 मुद्दे उठाने का और विशेष उल्लेख के जरिये लोक महत्व के 210 मुद्दे उठाने का अवसर था।
उन्होंने कहा ‘‘लेकिन लगातार व्यवधान के कारण अब तक केवल 14 तारांकित प्रश्न पूछे गए हैं, शून्यकाल के तहत केवल पांच ही मुद्दे उठाए गए और विशेष उल्लेख के तहत लोकमहत्व से जुड़े केवल 17 मुद्दे ही उठाए जा चुके हैं।'' उपसभापति ने कहा कि हंगामे की वजह से सदन का 62 घंटे और 25 मिनट का समय बर्बाद हो चुका है। कुछ सदस्यों ने बिल्ले पहने हुए थे जिस पर आपत्ति जताते हुए उपसभापति ने कहा ‘‘सदन में बिल्ले पहन कर आना सदन के कामकाज की संस्कृति के अनुरूप नहीं है। कृपया बिल्ले उतार कर सदन में आएं।'' उन्होंने सदस्यों से शांत रहने, अपने स्थानों पर लौट जाने और शून्यकाल चलने देने की अपील दोहराई लेकिन सदन में व्यवस्था न बनते देख 11 बजकर 12 मिनट पर बैठक को दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
हंगामे की वजह से आज भी उच्च सदन में शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हो पाया। सदन की पिछली बैठक आठ अगस्त को हुई थी जिसमें नियम 267 पर आसन की टिप्पणियों को लेकर कुछ सदस्यों ने आपत्ति जताई थी। हरिवंश ने कहा कि उनकी टिप्पणी का उद्देश्य किसी सदस्य का अपमान करना नहीं था और उन्होंने सदस्यों से नियमों का पालन करने की अपील की ताकि सदन का कीमती समय व्यर्थ न हो। उन्होंने कहा कि वह यह बात सदस्यों के विवेक पर छोड़ते हैं कि वे आसन की व्यवस्था का पालन करेंगे, नियमावली का अध्ययन करेंगे और नियमों का पालन करेंगे। सदन में मानसून सत्र की शुरुआत से ही कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के सदस्य बिहार में एसआईआर के मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर नारेबाजी कर रहे हैं।