Edited By Mamta Yadav,Updated: 06 Aug, 2025 12:44 AM

सरकारी तंत्र की लापरवाही एक बार फिर शर्मसार करने वाली घटना में सामने आई है। 72 वर्षीय बुजुर्ग मलखान सिंह को सरकारी रिकॉर्ड में "मृत" घोषित कर दिया गया, जिसके चलते उनकी वृद्धा पेंशन बंद कर दी गई। अब वे अपने ‘जिंदा’ होने का प्रमाण देने के लिए...
Shamli News: सरकारी तंत्र की लापरवाही एक बार फिर शर्मसार करने वाली घटना में सामने आई है। 72 वर्षीय बुजुर्ग मलखान सिंह को सरकारी रिकॉर्ड में "मृत" घोषित कर दिया गया, जिसके चलते उनकी वृद्धा पेंशन बंद कर दी गई। अब वे अपने ‘जिंदा’ होने का प्रमाण देने के लिए कलेक्टरेट के चक्कर काटने को मजबूर हैं। बता दें कि मंगलवार को मलखान सिंह ने हाथों में "मैं अभी जिंदा हूं" लिखा पंपलेट लेकर डीएम ऑफिस में दस्तक दी और जिलाधिकारी अरविंद कुमार चौहान को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने अपील की कि उन्हें मृत घोषित करने वाले जिम्मेदार कर्मचारियों पर कानूनी कार्रवाई की जाए और उनकी पेंशन तुरंत बहाल की जाए।
बैंक में मिली ‘मौत’ की सूचना, सदमे में बुजुर्ग
बाबरी थाना क्षेत्र के गांव बाबरी निवासी मलखान सिंह पिछले कई वर्षों से वृद्धावस्था पेंशन प्राप्त कर रहे थे। कुछ माह से पेंशन आनी बंद हो गई तो उन्होंने बैंक में जानकारी ली, जहां बताया गया कि वह सरकारी रेकॉर्ड में मृतक दर्ज हो चुके हैं। "मैं जीवित हूं, चल फिर रहा हूं, फिर भी मुझे कागज़ों में मार दिया गया," मलखान सिंह ने भावुक होकर कहा।
महीनों से दफ्तरों के चक्कर, फिर भी कोई सुनवाई नहीं
मलखान सिंह ने बताया कि वह कई महीनों से ग्राम पंचायत से लेकर तहसील और जिला स्तर तक अधिकारियों को आवेदन दे चुके हैं। कई बार जीवित प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत कर चुके हैं, लेकिन अब तक न तो रिकॉर्ड सुधारा गया और न ही पेंशन बहाल हुई है।
ऐसी घटनाएं आम, सिस्टम पर उठे सवाल
यह घटना कोई पहली नहीं है। हाल ही में एक बुजुर्ग महिला को भी इसी तरह मृत घोषित कर दिया गया था, जिन्होंने जिलाधिकारी से मिलकर अपने 'जिंदा' होने की गुहार लगाई थी। अब सवाल उठता है कि क्या किसी नागरिक को अपनी मौजूदगी के लिए सरकारी दस्तावेज़ों के आगे गिड़गिड़ाना पड़ेगा?