केशव प्रसाद मौर्य बोले- 'एक खास परिवार की जागीर है समाजवादी पार्टी जिसके मुखियाअखिलेश'

Edited By Ramkesh,Updated: 29 Sep, 2022 06:17 PM

a special family s fiefdom is samajwadi party whose head akhilesh

उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने को लेकर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि समाजवादी पार्टी कोई राजनीतिक पार्टी ही नहीं, बल्कि एक खास परिवार की जागीर है जिसके मुखिया अखिलेश यादव...

लखनऊ:  उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने को लेकर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि समाजवादी पार्टी कोई राजनीतिक पार्टी ही नहीं, बल्कि एक खास परिवार की जागीर है जिसके मुखिया अखिलेश यादव जी हैं। चुनाव तो केवल दिखावा है।  बता दें कि बृहस्पतिवार को लगातार तीसरी बार समाजवादी पार्टी (सपा) का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए हैं। चुनाव अधिकारी और पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव ने सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में उन्हें निर्विरोध पार्टी अध्यक्ष चुने जाने का ऐलान किया।

बता दें कि राष्‍ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश यादव को ही लगातार तीसरी बार पार्टी अध्यक्ष चुने जाने की प्रबल संभावना थी। पार्टी में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव से गतिरोध के कारण पार्टी के झंडे और चुनाव निशान को लेकर अदालती लड़ाई जीतने के बाद अखिलेश यादव को एक जनवरी 2017 को आपात राष्‍ट्रीय अधिवेशन बुलाकर पहली बार पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव के स्‍थान पर दल को राष्ट्रीय अध्‍यक्ष बनाया गया था। उसके बाद अक्टूबर 2017 में आगरा में हुए विधिवत राष्‍ट्रीय अधिवेशन में उन्हें एक बार फिर सर्वसम्मति से पार्टी का अध्यक्ष चुना गया था। उस वक्त पार्टी के संविधान में बदलाव कर अध्यक्ष के कार्यकाल को तीन साल से बढ़ाकर पांच वर्ष कर दिया गया था।

गौरतलब है कि अक्‍टूबर 1992 में गठित सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर अब तक यादव परिवार का ही कब्जा रहा है। अखिलेश से पहले मुलायम सिंह यादव ही पार्टी के अध्यक्ष रहे। सपा का यह राष्‍ट्रीय अधिवेशन वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव और 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी की लगातार चुनावी शिकस्‍तों के बाद आयोजित हो रहा है। प्रदेश के हर चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जोरदार तैयारियों को देखते हुए अखिलेश के सामने अब चुनौतियां पहले से भी अधिक होंगी। उनके सामने आगामी नवम्‍बर-दिसम्‍बर में सम्‍भावित नगर निकाय के चुनाव और फिर 2024 के लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने की चुनौती है। ऐसे में पार्टी नेतृत्‍व को पिछली गलतियों से सीख लेते हुए संगठन को नए सिरे से सक्रिय करते हुए उसमें नयी ऊर्जा भरनी होगी।
 

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