Edited By Anil Kapoor,Updated: 04 Dec, 2025 12:54 PM

Lakhimpur Kheri News: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में रहने वाले थारू जनजाति के लोगों को बड़ी राहत मिल गई है। सरकार ने साल 2012 में थारू समाज के 4000 से अधिक लोगों के खिलाफ दर्ज किए गए मामलों की जांच कराने का आदेश दे दिया है। इसके लिए 3 सदस्यीय...
Lakhimpur Kheri News: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में रहने वाले थारू जनजाति के लोगों को बड़ी राहत मिल गई है। सरकार ने साल 2012 में थारू समाज के 4000 से अधिक लोगों के खिलाफ दर्ज किए गए मामलों की जांच कराने का आदेश दे दिया है। इसके लिए 3 सदस्यीय विशेष टीम बनाई गई है, जिसमें एक IFS अधिकारी और दो SDO शामिल हैं। यह टीम अब पूरे मामले की जांच करेगी और अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। इससे हजारों पीड़ित परिवारों को इंसाफ मिलने की उम्मीद जग गई है।
क्या है पूरा मामला?
साल 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान वन विभाग ने लखीमपुर खीरी के थारू आदिवासी समुदाय पर बड़े पैमाने पर मुकदमे दर्ज किए थे। आरोप था कि ये लोग अवैध तरीके से जंगल में जाकर लकड़ी इकट्ठा कर रहे थे। लेकिन जांच के दौरान कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं—
- जिन लोगों पर केस दर्ज हुआ, वे घर से निकल भी नहीं सकते थे
- कई लोग शारीरिक रूप से अक्षम थे।
- कुछ गंभीर रूप से बीमार थे।
- कुछ मृत लोगों के नाम तक FIR में शामिल थे।
- मतदान सूची देखकर ही नाम उठा लिए गए और वन अपराध का केस बना दिया गया।
अंधे और विकलांग लोगों तक पर दर्ज हुआ केस
एक मामला सूरदास रामभजन (40) का भी सामने आया, जो जन्म से अंधे हैं। उन्होंने कहा कि वह कभी जंगल गए ही नहीं, यहां तक कि जंगल देखा भी नहीं। उनके छोटे भाई राजन का हाल इससे भी बुरा था —वह मानसिक रूप से विकलांग है और बचपन से जंजीरों में रहता है। फिर भी दोनों पर पेड़ काटने का आरोप लगा दिया गया। पलिया के भाजपा विधायक रोमी साहनी ने बताया कि “जिन लोगों ने जंगल का रास्ता भी नहीं देखा, उनके नाम भी केस में जोड़ दिए गए थे।”
सीएम योगी से हुई मुलाकात
28 अक्टूबर को विधायक रोमी साहनी कई पीड़ित ग्रामीणों के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले और पूरी समस्या बताई। उन्होंने मांग की कि सारे झूठे केस वापस लिए जाएं। सीएम ने तत्काल आश्वासन दिया कि जांच कराई जाएगी और निर्दोष लोगों को राहत दी जाएगी।
अब सरकार ने बनाई जांच टीम
सरकार ने अब तीन अधिकारियों की एक विशेष टीम गठित कर दी है। टीम — वन विभाग के IFS अधिकारी, दो SDO जांच करके अपनी रिपोर्ट शासन को देगी। रिपोर्ट आने के बाद तय होगा कि किन-किन मुकदमों को वापस लिया जाए।
किन धाराओं वाले केस वापस हो सकते हैं?
वन अधिनियम की धारा 11, 27, 35, 161 और 511 के मामले वापस लिए जा सकते हैं। लेकिन धारा 9 (शिकार से संबंधित) के मुकदमों को वापस लेने के लिए सरकार या अभियोजक की मंजूरी आवश्यक होती है, और इसके लिए कोर्ट में आवेदन देना पड़ता है। फिलहाल थारू समाज में खुशी का माहौल है, क्योंकि 12 साल पुराने गलत मुकदमों से छुटकारा मिलने की उम्मीद अब मजबूत हो गई है।