AIIMS में स्ट्रेचर पर पीड़िता ने दिया बयान-कुलदीप सेंगर ने 2017 में किया यौन उत्पीड़न

Edited By Ajay kumar,Updated: 13 Sep, 2019 10:31 AM

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उन्नाव दुष्कर्म की शिकार पीड़िता ने खराब सेहत की वजह से दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में स्थापित अस्थायी अदालत में गुरुवार को स्ट्रेचर से बयान दर्ज कराया।

नई दिल्ली: उन्नाव दुष्कर्म की शिकार पीड़िता ने खराब सेहत की वजह से दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में स्थापित अस्थायी अदालत में गुरुवार को स्ट्रेचर से बयान दर्ज कराया। पीड़िता ने आरोप लगाया है कि भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने 2017 में उसका यौन उत्पीड़न किया था। 

पीड़िता के वकील ने बताया कि उनकी मुवक्किल ने जय प्रकाश नारायण एपेक्स ट्रॉमा सेंटर के संगोष्ठी कक्ष में जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा के समक्ष बयान दर्ज कराया। पूरी कार्यवाही बंद कमरे में हुई। गत 28 जुलाई को हुए सड़क हादसे में घायल होने के बाद पीड़िता को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। आरोपी के वकील ने बताया कि एम्स में सुनवाई बुधवार को शुरू हुई और यह शुक्रवार तक जारी रहेगी। बंद कमरे में होने वाली सुनवाई में आम लोगों और मीडिया को शामिल होने की अनुमति नहीं होती है। पीड़िता का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने कहा था कि वह उसे अदालत परिसर में ले जाने की सलाह नहीं देंगे जिसके बाद दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर अस्पताल में ही अस्थायी अदालत का गठन किया गया। 

आरोप है कि 2017 में जब पीड़िता नाबालिग थी तब सेंगर ने सह आरोपी शशि सिंह के साथ मिलकर कथित तौर पर उसका अपहरण कर दुष्कर्म किया। गुरुवार की सुनवाई के लिए तिहाड़ जेल से सेंगर और सह आरोपी को कड़ी सुरक्षा के बीच अस्पताल लाया गया। पीड़िता और उसके परिवार की ओर से पेश वकील धमेंद्र मिश्रा ने बताया कि विशेष अदालत में बयान दर्ज कराने के दौरान उनके मुवक्किल के साथ नर्स थी जो लगातार उसके डॉक्टरों के संपर्क में थी। उन्होंने बताया कि सुनवाई के दौरान पीड़िता की बड़ी बहन को भी साथ रहने की अनुमति दी गई है। 

उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद सड़क हादसे में घायल पीड़िता को लखनऊ के अस्पताल से विमान के जरिये इलाज के लिए दिल्ली लाया गया था। अदालत ने इससे पहले एम्स में बंद कमरे में सुनवाई को लेकर दिशा-निर्देश दिए थे। अदालत ने कहा था कि सुनवाई की कोई ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग नहीं होगी। चिकित्सा अधीक्षक को सुनिश्चित करने को कहा था कि संगोष्ठी कक्ष में लगे सीसीटीवी कैमरे सुनवाई के दौरान बंद रहे। प्रशासन से यह सुनिश्चित करने को कहा गया कि पीड़िता का आरोपियों से आमना-सामना न हो।

 

 

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