Edited By Pooja Gill,Updated: 02 Dec, 2025 03:21 PM

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि जो लोग इसाई धर्म अपना चुके हैं, उन्हें अनुसूचित जाति (एससी) का लाभ नहीं दिया...
प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि जो लोग इसाई धर्म अपना चुके हैं, उन्हें अनुसूचित जाति (एससी) का लाभ नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने ऐसे मामलों को “संविधान के साथ धोखाधड़ी” बताते हुए सभी जिलाधिकारियों को चार महीने के भीतर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
सिर्फ इन्हें मिलेगा एससी का लाभ
कानून के मुताबिक, अनुसूचित जाति का फायदा केवल हिंदू, सिख और बौद्ध धर्म के लोगों को मिलता है। धर्म परिवर्तन करने वाले लोगों को यह लाभ नहीं दिया जाता। महराजगंज के रहने वाले जितेंद्र साहनी की याचिका खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति इसाई धर्म अपना चुका है, तो वह एससी श्रेणी में नहीं रह सकता, क्योंकि इसाई धर्म में जाति व्यवस्था नहीं होती।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी जिक्र
न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि की पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के सी. सेल्वेरानी मामले का हवाला देते हुए कहा कि सिर्फ लाभ लेने के लिए धर्म बदलना और फिर भी एससी सुविधा लेना संविधान के साथ धोखा है। जितेंद्र साहनी ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग की थी। उन पर हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करने और माहौल बिगाड़ने का आरोप लगा था।
गवाह ने लगाए आरोपों की पुष्टि की
गवाह लक्ष्मण विश्वकर्मा ने बताया कि जितेंद्र साहनी हिंदू देवी-देवताओं के बारे में आपत्तिजनक बातें करते थे। अदालत ने कहा कि भले ही किसी के पास पुराना जाति प्रमाण पत्र हो, लेकिन धर्म परिवर्तन के बाद वह व्यक्ति एससी श्रेणी में नहीं माना जाएगा। कोर्ट ने कहा कि एससी/एसटी एक्ट उन समुदायों की रक्षा के लिए बना है जिन्हें जाति आधारित भेदभाव झेलना पड़ा है। इसलिए यह सुरक्षा उन लोगों तक नहीं बढ़ाई जा सकती जिन्होंने ऐसा धर्म अपना लिया है जहां जाति व्यवस्था नहीं होती।
डीएम को जांच के निर्देश
हाई कोर्ट ने डीएम महराजगंज को आदेश दिया है कि वह तीन महीने के भीतर जितेंद्र साहनी के धर्म परिवर्तन की जांच करें। अगर जांच में फर्जीवाड़ा मिलता है, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में कोई गलत हलफनामा दाखिल न करे। साहनी ने हलफनामे में खुद को हिंदू बताया था।