UP की जेलों में अब नहीं चलेंगे अंग्रेजों के जमाने के नियम, जेल मैनुअल-2022 के प्रस्ताव को मिली मंजूरी

Edited By Mamta Yadav,Updated: 16 Aug, 2022 09:56 PM

the rules of the british era will no longer run in up jails

उत्‍तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने मंगलवार को करीब 81 साल पुराने अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे जेल नियमावली में बदलाव करते हुए उत्तर प्रदेश जेल मैनुअल-2022 को जारी किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। नयी व्यवस्था में बंदियों, विशेष तौर से महिला बंदियों...

लखनऊ: उत्‍तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने मंगलवार को करीब 81 साल पुराने अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे जेल नियमावली में बदलाव करते हुए उत्तर प्रदेश जेल मैनुअल-2022 को जारी किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। नयी व्यवस्था में बंदियों, विशेष तौर से महिला बंदियों को विशेष सुविधाएं देने का फैसला किया गया है और कालापानी की सजा के लिए स्थानांतरण की व्यवस्था अब समाप्त कर दी गई है।

लोकभवन में मंत्रिमंडल की बैठक के बाद फैसले की जानकारी देते हुए कारागार एवं होमगार्ड राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) धर्मवीर प्रजापति ने पत्रकारों को बताया कि मंत्रिमंडल ने उप्र जेल मैनुअल-2022 को जारी करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। मंगलवार को जारी एक सरकारी बयान के अनुसार वर्तमान में विद्यमान जेल मैनुअल का संस्करण 1941 में प्रख्यापित हुआ था, जिसमें समय-समय पर आवश्यकतानुसार संशोधन एवं शुद्धिकरण किए गए हैं, और जेल मैनुअल की नियमावली में आवश्यकतानुसार संशोधन भी हुए हैं।

इसमें कहा गया है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर बीपीआर एंड डी (ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट नई दिल्ली) द्वारा देश के सभी राज्यों के कारागारों में एक समान जेल मैनुअल लागू किए जाने के लिये मॉडल प्रिजन मैनुअल-2003 एवं 2016 की संरचना की गयी। बयान में कहा गया है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा इस मॉडल प्रिजन मैनुअल को देश के सभी राज्यों में लागू करने की अपेक्षा की गयी है। इसके अनुसार, उत्तर प्रदेश जेल मैनुअल के कतिपय अप्रासंगिक नियमों को समाप्त करते हुए, कई नियमों में यथावश्यक संशोधन एवं नवीन व्यवस्थाओं को सम्मिलित करते हुए उत्तर प्रदेश जेल मैनुअल-2022 को जारी किए जाने का मंत्रिमंडल ने मंगलवार को निर्णय किया है।

मंत्री ने पत्रकारों को बताया कि कालापानी की सजा के लिए स्थानांतरण की व्यवस्था अब समाप्त कर दी गई है। (अंग्रेजों के जमाने से कालापानी की सजा के बाद बंदी को अंडमान निकोबार की जेल में भेजने का प्रावधान था।) उन्होंने कहा कि नये मैनुअल में लॉकप जेल की व्यवस्था समाप्त कर दी गई है और इसके अलावा यूरोपीय बंदियों के लिए अलग जेल, रजवाड़ों के बंदी के लिये निर्धारित रिहाई एवं स्थानांतरण और नेपाल, भूटान, सिक्किम तथा कश्‍मीर के बंदियों की रिहाई एवं स्थानांतरण की पुरानी व्यवस्था समाप्त कर दी गई है। उन्होंने बताया कि नई नियमावली के अनुसार बंदियों की सहभागिता के लिए बंदी पंचायत आयोजित करने की व्यवस्था की गई है। मंत्री ने कहा कि जेलों से सीधे कैदियों की पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये हो सके ऐसी व्यवस्था की जाएगी।

मंत्री ने कहा कि ई-प्रिजन प्रणाली के अंतर्गत बंदियों से सम्बंधित सभी सूचनाओं का अनिवार्य कंप्यूटरीकरण किया जाएगा और कारागार मुख्यालय में सूचना प्रौद्योगिकी प्रकोष्ठ की स्थापना की जाएगी तथा इसके तहत कमांड सेंटर एवं वीडियो वाल स्थापित होगा। उन्होंने बताया कि महिला बंदियों को सलवार सूट पहनने और मंगल सूत्र धारण करने की अनुमन्‍यता दी गई है। उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं और माताओं के लिए पुष्टाहार एवं चिकित्सीय सुविधाओं का प्रावधान किया गया है।

बयान के अनुसार जेल मैनुअल-2022 में प्रस्तावित व्यवस्था के तहत कारागार में निरुद्ध महिला बंदी के साथ रह रहे तीन से छह वर्ष तक की आयु के बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिये शिशु सदन, समुचित शिक्षा, चिकित्सा, टीकाकरण तथा चार वर्ष से छह वर्ष तक की आयु के बच्चों को, उनकी माता की सहमति प्राप्त करने के बाद कारागार के बाहर किसी शिक्षण संस्थान में प्रवेश दिलाया जाएगा। इसमें कहा गया है कि वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप कारागारों में निरुद्ध महिला बंदियों को सेनेटरी नैपकिन देने का प्रावधान किया गया है। बंदियों की मानवीय आवश्यकताओं के दृष्टिगत उनके रक्त सम्बन्धी अथवा पति/पत्नी की मृत्यु होने पर अंतिम दर्शन का भी प्रावधान किया गया है।

इसके अनुसार, प्रत्येक कारागार में उप जेलर स्तर के एक अधिकारी को कारागार कल्याण अधिकारी के रूप में पदस्थ किया जाएगा, जो अधीक्षक और जेलर के साथ, महानिदेशक द्वारा प्रत्येक जेल में बंदियों के लिए बनाए गए कल्याण, देखभाल और पुनर्वास कार्यक्रमों के सुचारु और व्यवस्थित कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होगा। प्रत्येक जेल में एक बंदी कल्याण कैंटीन तथा बंदी कल्याण कोष होगा। बयान में कहा गया है कि नई नियमावली के तहत जेल में जो बच्चा पैदा होगा उसका नामकरण संस्कार वहीं होगा और नामकरण उसके धर्म के मुताबिक धर्मगुरु करेंगे। इसमें कहा गया है कि इतना ही नहीं सरकार इन बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और खानपान की व्यवस्था भी करेगी।

प्रजापति ने बताया कि जेलों का निर्धारण पहले जिले के हिसाब से होता था लेकिन अब बंदियों की संख्या के आधार पर जेलों की चार श्रेणी तय होगी। उन्होंने बताया कि ए श्रेणी की कारागार 2000 से अधिक बंदियों की होगी और बी श्रेणी की कारागार 1500 से 2000 बंदियों की होगी। उन्होंने कहा कि सी श्रेणी की एक हजार से 1500 की संख्या और श्रेणी डी की कारागार एक हजार तक की बंदियों की संख्या के आधार पर निर्धारित होगी। जेलों में प्रयुक्त होने वाले असलहों के बदलाव की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि जेलों में अब थ्री नॉट थ्री की राइफल की जगह नाइन एमएम की कारबाइन, पिस्टल और इंसास राइफल का उपयोग किया जाएगा।

मंत्री ने बताया कि जेल में त्योहार के मौके पर खीर और सेवइयां भी बनाई जाएगी। एक अधिकारी ने बताया कि अगर हिंदू धर्म का कोई त्यौहार होगा तो खीर और इस्लाम धर्म के लोगों को त्यौहार पर सेवई, खजूर और फल दिए जाएंगे। नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने पत्रकारों को बताया कि मंत्रिमंडल ने उत्तर प्रदेश रक्षा एवं एयरोस्पेस इकाई एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2018 (यथासंशोधित) में संशोधन के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।

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