UP की मदद के बगैर 5 ट्रिलियन इकोनॉमी का लक्ष्य हासिल करना असंभव: वित्त आयोग

Edited By Deepika Rajput,Updated: 23 Oct, 2019 09:46 AM

statement of the chairman of finance commission

वित्त आयोग ने स्वीकार किया कि उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाए बगैर भारत को 5 ट्रिलियन इकोनॉमी बनाना मुमकिन नहीं है और इसके लिए प्रदेश को अपनी वृद्धि दर में ‘बहुत सुधार' करना होगा। वित्त आयोग के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को...

लखनऊः वित्त आयोग ने स्वीकार किया कि उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाए बगैर भारत को 5 ट्रिलियन इकोनॉमी बनाना मुमकिन नहीं है और इसके लिए प्रदेश को अपनी वृद्धि दर में ‘बहुत सुधार' करना होगा। वित्त आयोग के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की।
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आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह ने कहा ‘भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए यूपी को एक ट्रिलियन का योगदान करना होगा। यूपी को इस लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए एक नई वृद्धि लाने की आवश्यकता है। जब तक यूपी एक ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था वाला प्रदेश नहीं बनेगा, तब तक भारत 5 ट्रिलियन इकोनॉमी नहीं बन सकेगा।' उन्होंने शंका जताते हुए कहा कि यूपी अगर इसी रफ्तार से चला तो एक ट्रिलियन इकोनॉमी नहीं बन पाएगा, लेकिन अगर विकास की रफ्तार में पूर्ण क्षमता से तेजी लाई जाए तो यह लक्ष्य हासिल करना कोई बड़ी बात नहीं है। हालांकि, इसमें सुधार की काफी गुंजाइश है।
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उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के मामलों में उत्तर प्रदेश की वर्तमान स्थिति सराहनीय नहीं है। मापदंड के अनुरूप सरकार ने आयोग के सामने आज जो कार्यक्रम पेश किए हैं, उन पर आयोग की विशेष सहानुभूति रहेगी। यूपी में किस तरह से जिला अस्पतालों को मेडिकल कॉलेजों में तब्दील किया जाए इस बारे में आयोग के जो विचार हैं, उन पर अगर कार्य हुआ तो प्रदेश को फायदा होगा। उत्तर प्रदेश में व्याप्त सम्भावनाएं उसके सामने खड़ी चुनौतियों के मुकाबले बहुत ज्यादा हैं।
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उन्होंने कहा कि राज्य ने पिछले दो वर्षों में जो सकल घरेलू उत्पाद दर हासिल की है वह राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने ‘उदय योजना' ग्रहण की लेकिन उसकी कुछ शर्तों का सम्पूर्ण रूप से पालन नहीं हो सका, जैसे कि बिजली ट्रांसमिशन की लागत अब भी ज्यादा है। वित्तीय घाटा भी 11 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 18 हजार करोड़ रुपये हो गया है। मगर सरकार का लक्ष्य है कि वह आने वाले दो वर्षों में यह निर्धारित मापदंड के अनुरूप हो जाएगा।

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