श्रावण मास के पहले दिन काशी में लगा शिव भक्तों का तांता, लगाई आस्था की डुबकी

Edited By Deepika Rajput,Updated: 17 Jul, 2019 02:21 PM

shiva devotees crowd in varanasi

भगवान शिव के प्रिय मास श्रावण के पहले दिन से ही उत्तर प्रदेश की धार्मिक वाराणसी में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। चंद्रग्रहण के बाद गंगा स्नान कर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने श्री काशी विश्वनाथ मंदिर समेत तमाम शिवालायों में दर्शन-पूजन किया।

वाराणसीः भगवान शिव के प्रिय मास श्रावण के पहले दिन धर्म की नगरी वाराणसी में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। चंद्रग्रहण के बाद गंगा स्नान कर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने श्री काशी विश्वनाथ मंदिर समेत तमाम शिवालायों में दर्शन-पूजन किया। बुधवार तड़के साढ़े चार बजे चंद्रग्रहण समाप्त होते ही गंगा स्नान करने वालों की भारी भीड़ घाटों पर उमड़ पड़ी।
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ऐतिहासिक दशाश्वमेध घाट, शीतला घाट एवं अस्सी समेत अनेक घाटों पर पहले से मौजूद श्रद्धालुओं ने स्नान के बाद श्री काशी विश्वनाथ समेत अन्य मंदिरों में देवी-देवताओं के दर्शन के लिए रुख किया। दशाश्वमेध घाट एवं शीतला घाट पर चंद्रग्रहण देखने के लिए बड़ी संख्या में रातभर लोग जमे रहे। चंद्रग्रहण बुधवार रात 1:31 मिनट शुरू हुआ था। इससे 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू होने के कारण श्री काशी विश्वनाथ मंदिर को छोड़कर अधिकांश मंदिरों के कपाट मंगलवार साढ़े चार बजे या उससे पहले बंद कर दिए गए थे। इस वजह से बहुत से श्रद्धालु देवी-देवताओं के दर्शन-पूजन नहीं कर पाए थे। ऐसे लोग तड़के साढ़े चार बजे से पहले मंदिरों के बाहर कतारों में खड़े अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे।
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सुबह करीब पौने पांच बजे मंदिरों के कपाट खुलते ही दूर-दूर से आए लोगों ने देवी-देवताओं के दर्शन-पूजन किए। चंद्रग्रहण के कारण श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन करने वालों की संख्या सावन के प्रथम दिन गत वर्ष की अपेक्षा अधिक श्रद्धालु नजर आए। बता दें कि, सावन के प्रथम सोमवार 22 जुलाई को शिवभक्तों के रिकॉर्ड संख्या में दर्शन-पूजन करने का अनुमान है। इसके लिए मंदिर प्रशासन ने इस बार खास तैयारियां की हैं। मंदिर तक पहुंचने के प्रमुख रास्तों पर बैरिकेडिंग की गई है और हर प्रकार के वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित की गई है। बाबा के दर्शन-पूजन के लिए गत वर्ष दो की अपेक्षा इस बार चार रास्ते बनाए गए हैं, जिससे भीड़ को रोकने की स्थिति उत्पन्न होने की संभावना बेहद कम है।
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श्रद्धालुओं को जलाभिषेक एवं पूजा-अर्चना आसानी से कर सकेंगे। लाखों श्रद्धालुओं की संभावित भीड़ के मद्देनजर प्रत्येक सोमवार को सुरक्षा निगरानी के लिए सीसीटीवी के अलावा हेलीकॉप्टर एवं ड्रोन कैमरों की भी मदद ली जाएगी। गंगा नदी में दशाश्वमेध घाट समेत तमाम प्रमुख घाटों पर राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के जवानों को तैनात किया गया है। जल पुलिस भी विशेष निगरानी कर रही है। 

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