Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 06 Oct, 2019 05:03 PM

दुर्गापूजा के भव्य पंडाल मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में ही रामलीला का आकर्षण फीका कर रहे है। दशकों पहले अगिनत क्षेत्रों में आयोजित होने वाली रामलीला का मंचन अब मात्र दो स्थानों पर सिमट गया है...
अयोध्याः दुर्गापूजा के भव्य पंडाल मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में ही रामलीला का आकर्षण फीका कर रहे है। दशकों पहले अगिनत क्षेत्रों में आयोजित होने वाली रामलीला का मंचन अब मात्र दो स्थानों पर सिमट गया है।
रामलीलाओं के मंचन के बजाय यहां का खासकर नौजवानों का रुझान रामलीला के बजाय दुर्गापूजा की ओर बढ़ रहा है। रामलीला लोग देखना नहीं चाहते या राम के आदर्शों को पसंद नहीं किया जा रहा है ऐसी बात नहीं है, बल्कि यहां लोगों से बातचीत से स्पष्ट होता है कि रामलीलाओं के आयोजन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है जबकि दुर्गा पूजा में सब कुछ रेडीमेड उपलब्ध हो जाता है।
रामलीला पंडालों में बदल-बदलकर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में मनोरंजन अपेक्षाकृत ज्यादा हो जाता है जबकि आदर्श रामलीलाओं के मंचन में प्रसंग बदलने का प्रश्न ही नहीं उठता है। दुर्गा पूजा का चलन बढऩे से पहले रामलीलाओं की धूम मची रहती थी लेकिन अब बदली परिस्थितियों में तेज आवाज व लाउडस्पीकरों से उठने वाले भजनों की ओट में रामलीलाओं की आवाज दब सी गयी है।
पुलिस अभिलेखों के मुताबिक अयोध्या में खासकर इस बार मात्र दो स्थानों पर रामलीला का आयोजन हो रहा है जबकि दुर्गा प्रतिमाएं करीब 1500 स्थानों पर स्थापित की गयी हैं। पुलिस के अनुसार अयोध्या और फैजाबाद क्षेत्र में लगभग दो हजार स्थानों पर दुर्गा पूजा का आयोजन है जबकि रामलीलाओं का आयोजन मात्र सत्रह स्थानों पर हो रहा है।