हाथ-पैर बांधकर बिना बेहोश किए कर दिया मरीज का ऑपरेशन, BRD के डॉक्टरों पर गंभीर आरोप

Edited By Pooja Gill,Updated: 01 Dec, 2022 03:48 PM

patient operated without sedation by tying hands

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां पर बीआरडी मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में बिना बेहोश किए मरीज का ऑपरेशन कर दिया गया है। इस मामले में महिला के पति...

गोरखपुरः उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां पर बीआरडी मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में बिना बेहोश किए मरीज का ऑपरेशन कर दिया गया है। इस मामले में महिला के पति ने डॉक्टरों पर आरोप लगाया है कि महिला को बिना बेहोश किए उसके हाथ-पैर बांधकर ऑपरेशन किया। इस दौरान मरीज दर्द से चिल्लाती रही, लेकिन डॉक्टर ने उनकी न सुनी। वहीं, इस मामले के सामने आने पर बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर का कहना है कि, मामले की कोई शिकायत नहीं मिली है। अगर इस मामले में कोई शिकायत दर्ज होगी तो कार्रवाई की जाएगी।  

बता दे कि यह मामला बीआरडी मेडिकल कॉलेज का है। मिली जानकारी के अनुसार, माया बाजार की रहने वाली नीलम गुप्ता को पेशाब की नली में 8.6 एमएम की पथरी थी। जिसके इलाज के लिए उनके परिजन मेडिकल कॉलेज के यूरोलाजिस्ट डॉ. पवन कुमार एसके के पास लेकर आए। नीलम के अनुसार, डॉक्टर ने दूरबीन विधि से ऑपरेशन की बात कही। इसे बाहर से मंगाने के लिए आठ हजार रुपये भी दिए गए। 21 नवंबर को डॉक्टर ने बेहोश कर ऑपरेशन किया। लेकिन, दर्द से राहत नहीं मिली। इसके बाद दूसरी बार अल्ट्रासाउंड में 8.1 एमएम की पथरी मिली। डॉक्टर ने मेडिकल कॉलेज बुलाया और ऑपरेशन थियेटर में ले गए। आरोप है कि बेड पर हाथ-पैर बांध दिया। विरोध करने पर कहा गया कि यह जांच की प्रक्रिया है। इसके बाद बिना बेहोश किए पेशाब की नली में दूरबीन डालकर पथरी तोड़ने लगे। इसमें बहुत दर्द हुआ।

छोटी सर्जरी में बेहोश करने की जरुरत नहीं- डॉक्टर
ऑपरेशन थिएटर से बाहर निकलकर पति से इसकी शिकायत की। लेकिन, वह घर लेकर चले गए। इस बीच दर्द कम नहीं हुआ। तीसरी बार अल्ट्रासाउंड कराने पर पता चला कि पथरी नहीं है, लेकिन पेशाब की नली के पास घाव हो गया है। इसकी वजह से दर्द है। मरीज का इलाज अब निजी अस्पताल में चल रहा है। वहीं, इस मामले में ऑपरेशन करने वाले डॉ. पवन कुमार एसके ने बताया कि हाथ-पैर बांधने का आरोप गलत है। मरीज को ऑपरेशन से पूर्व बेहोश नहीं किया गया था। क्योंकि, मरीज का पथरी का ऑपरेशन नहीं होना था। न ही बड़ी सर्जरी थी। छोटी सर्जरी थी। इसमें बेहोश करने की जरूरत नहीं होती है। मरीज की पथरी तोड़ी गई थी, उसका चूरा और बुरादा पेशाब की नली में जमा हो गया था, जिसे हटाना जरूरी था।
 

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