मैथोडिस्ट कॉलेज के प्ले ग्राउंड पर भूमाफियाओं का कब्जा, प्रशासन की मिली भगत से करोड़ों में कर दिया सौदा; तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित

Edited By Mamta Yadav,Updated: 18 Mar, 2025 04:23 PM

methodist college s play ground was captured by land mafias

बरेली शहर की पहचान और पोर्श एरिया सिविल लाइंस में मिशन की जिस ज़मीन पर 1862 में मैथोडिस्ट गर्ल्स इंटर कॉलेज की स्थापना हुई थी, अब उस पर भूमाफियाओं की नज़र है। स्थानीय निवासियों और शिकायतकर्ता के अनुसार, भूमाफियाओं ने कॉलेज के खेल मैदान की ज़मीन को...

Bareilly News, (मो. जावेद): बरेली शहर की पहचान और पोर्श एरिया सिविल लाइंस में मिशन की जिस ज़मीन पर 1862 में मैथोडिस्ट गर्ल्स इंटर कॉलेज की स्थापना हुई थी, अब उस पर भूमाफियाओं की नज़र है। स्थानीय निवासियों और शिकायतकर्ता के अनुसार, भूमाफियाओं ने कॉलेज के खेल मैदान की ज़मीन को अवैध रूप से लीज़ पर दे दिया और कब्ज़ा जमा लिया। चौंकाने वाली बात यह है कि जिन भूमाफियाओं की संपत्ति को एक साल पहले पुलिस ने कुर्क किया था, अब उन्हीं की मिलीभगत से इस ज़मीन पर कब्ज़ा किया गया है।
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भूमाफियाओं ने किया अवैध कब्ज़ा, प्रशासन पर गंभीर आरोप
इस ज़मीन पर खुलासे के अनुसार, कॉलेज के खेल मैदान की 600 गज ज़मीन को भूमाफियाओं ने मिलकर लीज़ पर दे दिया और करीब 2000 वर्ग गज पर कब्ज़ा कर लिया गया। इस पूरे मामले की परतें अब खुलने लगी हैं। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता एडवोकेट महेश पांडे ने इस मामले की शिकायत पीएमओ, गृह मंत्रालय, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, यूपी के डीजीपी सहित स्थानीय प्रशासन से भी की है।
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ऐसे हुआ इस बेशकीमती ज़मीन पर कब्ज़ा?
एडवोकेट महेश पांडे के अनुसार, रामपुर के नवाब ने 1871 में मिशनरी डॉक्टर क्लारा स्वेन को 43 एकड़ ज़मीन दी थी। यह ज़मीन मिशन के पास लगभग 150 वर्षों तक रही, लेकिन कुछ भूमाफियाओं ने इस पर नज़र डाल दी। आरोप है कि बरेली के कुछ भूमाफियाओं ने मेथोडिस्ट चर्च इन इंडिया, बॉम्बे के अधिकारियों से सांठगांठ कर इस ज़मीन को खुर्द-बुर्द करना शुरू कर दिया। इससे पहले बटर प्लाजा को कब्ज़े में लिया गया और वहाँ शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बना दिया गया। फिर, भूमाफियाओं के एक समूह ने प्रशासन की मिलीभगत से कॉलेज के खेल मैदान की ज़मीन को भी अवैध रूप से लीज़ पर दे दिया। इस पूरे घोटाले में भूमाफिया रमनदीप और अरविंदर का भी नाम सामने आया है, जिनके खिलाफ पहले से गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला दर्ज है।
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क्या प्रशासन की संलिप्तता,और पुलिस भी घेरे में ?
आरोप है कि बरेली पुलिस प्रशासन के अधिकारियों की मौजूदगी में इस ज़मीन पर कब्ज़ा कराया गया। वकील सुमित भारद्वाज और उनके पिता अनिल भारद्वाज पर भी इस घोटाले में शामिल होने का आरोप है। मिशन हॉस्पिटल की लिस्टेड संपत्ति में खेल मैदान को चर्च इंटर कॉलेज कैंपस का हिस्सा बताया गया है, लेकिन इसे छिपाकर ज़मीन की लीज़ डीड कराई गई।

माध्यमिक शिक्षा अधिनियम का उल्लंघन
माध्यमिक शिक्षा अधिनियम के अनुसार, किसी भी शैक्षणिक संस्थान के खेल मैदान की ज़मीन को बेचा या लीज़ पर नहीं दिया जा सकता। यह नियम इसलिए बनाया गया है ताकि छात्रों की शिक्षा और खेल गतिविधियों में बाधा न आए। लेकिन इस मामले में साफ तौर पर इस नियम का उल्लंघन हुआ है। माध्यमिक शिक्षा परिषद की गाइडलाइंस में स्पष्ट है कि किसी भी मान्यता प्राप्त स्कूल या कॉलेज के खेल मैदान की ज़मीन को किसी भी व्यावसायिक या निजी उपयोग के लिए नहीं दिया जा सकता। यदि ऐसा किया जाता है, तो यह कानूनन अवैध होगा और इसमें संलिप्त अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।

शिकायत के बाद जांच शुरू
एडवोकेट महेश पांडे ने मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से इस मामले की शिकायत की। लॉ एंड ऑर्डर के एडिशनल डीजीपी ने इस पर जांच के आदेश दिए और कमिश्नर ने 3 सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी है। फिलहाल, एडीएम सिटी सौरभ दुबे इस मामले की जांच कर रहे हैं।

करोड़ों रुपये का हुआ लेन-देन
सूत्रों से यह सामने आया है कि इस सौदे में 6 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ है। इसमें बॉम्बे के न्यूटन परमार, स्थानीय स्तर पर विलियम दिलावर और सुनील मेसी जैसे कई नाम सामने आए हैं। माना जा रहा है कि बिना मिलीभगत के इस तरह के घोटाले संभव नहीं हैं।

शिकायतकर्ता की जान को खतरा
एडवोकेट महेश पांडे ने यह भी दावा किया कि प्रशासन ने उनकी पहचान उजागर कर दी है, जिससे उनकी जान को खतरा है। उन्होंने कहा, "हम भूमाफियाओं के खिलाफ शिकायत कर रहे हैं, इसलिए हमें जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। प्रशासन को हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।"

अब अगले कदम का इंतजार
मामले की जांच जारी है और एडवोकेट महेश पांडे का कहना है कि अगर न्याय नहीं मिला, तो वह हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे। अब देखने वाली बात होगी कि क्या प्रशासन इस मामले में निष्पक्ष कार्रवाई करता है या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा।

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