भगवान कृष्ण से इतना प्रेम की मथुरा के सत्तार ने लिख डाली 25 किताबें, धर्म को नहीं आने दिया भक्ति के आड़े

Edited By Prashant Tiwari,Updated: 23 Jan, 2023 02:52 PM

mathura s sattar wrote 25 books out of love for lord krishna

16वीं शताब्दी में मीराबाई कृष्ण की भक्ति में रमी तो उनके देवर राजा विक्रमादित्य ने उनको मारने के लिए जहर देने तथा सर्प से कटवाने का भी प्रयत्न किया। उसके सारे प्रयत्न भगवान श्री कृष्ण की कृपा से असफल हो गए। उसी तरह अंधे सूरदास ने जब कृष्ण भक्ति की...

मथुरा: 16वीं शताब्दी में मीराबाई कृष्ण की भक्ति में रमी तो उनके देवर राजा विक्रमादित्य ने उनको मारने के लिए जहर देने तथा सर्प से कटवाने का भी प्रयत्न किया। उसके सारे प्रयत्न भगवान श्री कृष्ण की कृपा से असफल हो गए। उसी तरह अंधे सूरदास ने जब कृष्ण भक्ति की तो अंधे होने के बावजूद 10 हजार से ज्यादा छंद की रचना कर दी। भगवान कृष्ण की भक्ति में क्या हिन्दू क्या मुसलमान सब रम गए। 16 वीं शताब्दी में रसखान तो वर्तमान समय में मथुरा के सत्तार अहमद ने साम्प्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल पेश की है। इस्लाम धर्म के पाबंद सत्तार की कृष्ण भक्ति इन दिनों चर्चा में है। वह पिछले 5 दशक से कृष्ण प्रेम में ऐसा डूबे कि भगवान श्रीकृष्ण पर 25 पुस्तक लिख चुके हैं।

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इस्लाम के साथ कृष्ण के अनुयायी
सत्तार अहमद भले ही धर्म से मुस्लिम हों लेकिन वह कर्म से भगवान श्री कृष्ण के भक्त हैं। भगवान कृष्ण और राधा रानी के भक्ति में  वह अब तक कई पद लिख चुके हैं। सत्तार अहमद पेशे से कवि हैं और वह जब भी किसी कवि सम्मेलन में जाते हैं तो वहां भगवान कृष्ण के बारे में अपने लिखित पदों को जरूर सुनाते हैं।

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सभी त्योहारों को मनाते हैं सत्तार
सत्तार अहमद ने बताया कि उनको भगवान कृष्ण की भक्ति करने के लिए किसी ने नहीं रोका। वह जब कवि सम्मेलन में किसी धार्मिक नगरी में जाते हैं और उनके साथ के कवि वहां के मंदिर में जाते हैं तो वह भी उनके साथ मंदिर जाते हैं। सत्तार ने बताया कि वह सभी त्योहारों को मनाते हैं। उनके लिए धर्म की दीवार कोई मायने नहीं रखती। अपनी पुस्तक श्री कृष्ण भक्ति सागर के बारे में बताया कि इसमें 215 छंद हैं। जिसमें वह भगवान कृष्ण की भक्ति के बारे में बताते हैं। सत्तार अहमद अपनी बात शुरू और खत्म करने से पहले राधे राधे कह अभिवादन करते हैं।

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हाथरस के रहने वाले है सत्तार
हाथरस की तहसील मुरसान के गांव नगला उदयभान के रहने वाले सत्तार अहमद (68) बताते है कि वह ब्रज क्षेत्र के रहने वाले हैं। उसी ब्रज के जहां भगवान कृष्ण ने सबको प्रेम का संदेश दिया था। यहीं वजह है कि जब वह छोटे थे तो गांव में होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों में शिरकत करते थे। गांव में दोनों धर्म के लोग रहते थे। इसके बाद करीब 35 साल पहले रोजी रोटी के सिलसिले में वह अलीगढ़ में रहने लगे लेकिन यहां भी उनकी कृष्ण भक्ति में कोई कमी नहीं रहीं। उन्हें अपने कृष्ण भक्ति की वजह से कभी भी किसी प्रकार की धार्मिक समस्या का सामना नहीं करना पड़े। वह बताते है कि उन्होंने पिछले 21 साल से अन्न का एक दाना नहीं खाया हैं। वह बस दूध, पानी और चाय लेते हैं और वह भगवान कृष्ण की कृपा से पूरी तरह स्वस्थ हैं।    

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