Edited By Pooja Gill,Updated: 13 Sep, 2024 10:39 AM
Mayawati News: बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने एक पुस्तिका में खुलासा किया कि 2019 के लोकसभा चुनाव में सीटें कम होने के बाद समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने उनका फोन उठाना बंद कर दिया था। इस पर अखिलेश...
Mayawati News: बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने एक पुस्तिका में खुलासा किया कि 2019 के लोकसभा चुनाव में सीटें कम होने के बाद समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने उनका फोन उठाना बंद कर दिया था। इस पर अखिलेश यादव ने सफाई देते हुए कहा था कि ''जिस समय गठबंधन टूटा, उस समय मैं आजमगढ़ में एक सभा में मंच पर था। अखिलेश की सफाई पर अब मायावती ने जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि ''इतने साल बाद सफाई देना कितना उचित है।''
मायावती ने पूछा सवाल
मायावती ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि ''लोकसभा चुनाव-2019 में यूपी में BSP के 10 व SP के 5 सीटों पर जीत के बाद गठबंधन टूटने के बारे में मैंने सार्वजनिक तौर पर भी यही कहा कि सपा प्रमुख ने मेरे फोन का भी जवाब देना बंद कर दिया था जिसको लेकर उनके द्वारा अब इतने साल बाद सफाई देना कितना उचित व विश्वसनीय? सोचने वाली बात।''
'बहुजन समाज का हित व आत्म-सम्मान सर्वोपरि'
इससे आगे मायावती ने कहा कि ''बीएसपी सैद्धान्तिक कारणों से गठबंधन नहीं करती है और अगर बड़े उद्देश्यों को लेकर कभी गठबंधन करती है तो फिर उसके प्रति ईमानदार भी जरूर रहती है। सपा के साथ सन 1993 व 2019 में हुए गठबंधन को निभाने का भरपूर प्रयास किया गया, किन्तु ’बहुजन समाज’ का हित व आत्म-सम्मान सर्वोपरि।''
'BSP जातिवादी संकीर्ण राजनीति के विरुद्ध है'
एक अन्य पोस्ट में मायावती ने कहा कि ''बीएसपी जातिवादी संकीर्ण राजनीति के विरुद्ध है। अतः चुनावी स्वार्थ के लिए आपाधापी में गठबंधन करने से अलग हटकर ’बहुजन समाज’ में आपसी भाईचारा बनाकर राजनीतिक शक्ति बनाने का मूवमेन्ट है ताकि बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर का मिशन सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त कर आत्मनिर्भर हो सके।
जानिए अखिलेश ने क्या दी सफाई
बता दें कि बसपा ने 'बहुजन समाज पार्टी पुस्तिका' जारी की है जिसे पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच बांटा जा रहा है। इसमें पार्टी प्रमुख मायावती ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन टूटने के बारे में खुलासा किया है। इस पुस्तिका में कहा गया है,‘‘ भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से दूर रखने के लिये 2019 का लोकसभा चुनाव सपा और बसपा ने मिलकर लड़ा। चुनाव परिणाम जब सामने आए तो बसपा को 10 व सपा को पांच सीटें मिलीं जिसके बाद सपा नेता अखिलेश यादव ने बसपा प्रमुख व पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं का टेलीफोन उठाना तक बंद कर दिया था। और फिर पार्टी को अपने स्वाभिमान को बरकरार रखते हुए सपा से अलग होना पड़ा।'' यह पुस्तिका 59 पन्नों की है, जो उपचुनाव और आने वाले चुनावों के मद्देनजर पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को बांटी जा रही है। पत्रकारों ने बृहस्पतिवार को एक कार्यक्रम में जब अखिलेश यादव से बसपा की इस पुस्तिका में किए गए खुलासे के बारे में सवाल किया तो उन्होंने कहा, ''जिस समय गठबंधन टूटा, उस समय मैं आजमगढ़ में एक सभा में मंच पर था। मैंने खुद फोन मिलाया था, यह पूछने के लिये कि आखिरकार यह गठबंधन क्यों तोड़ा जा रहा है, क्योंकि प्रेस वाले जनसभा के बाद मुझसे पूछेंगे तो उन्हें मैं जवाब क्या दूंगा? कभी कभी अपनी बातें छुपाने के लिये भी ऐसी बातें रखी जाती हैं।''