Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 17 Jan, 2021 04:30 PM
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने रविवार को कहा कि भारतीय जीवन बीमा (एलआईसी) कार्यकर्ता 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाने के सरकार के प्रयासों में सहयोग करें और टीबी (ट्यूबरक्लोसिस या क्षयरोग) से ग्रस्त 18 वर्ष से कम उम्र के एक-एक बच्चे को गोद...
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने रविवार को कहा कि भारतीय जीवन बीमा (एलआईसी) कार्यकर्ता 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाने के सरकार के प्रयासों में सहयोग करें और टीबी (ट्यूबरक्लोसिस या क्षयरोग) से ग्रस्त 18 वर्ष से कम उम्र के एक-एक बच्चे को गोद लें और उसे नियमित दवाई और पोषक आहार दें। राजभवन में रविवार को एलआईसी द्वारा आयोजित ‘बीमा योद्धा सम्मान समारोह' को संबोधित करते हुए राज्यपाल पटेल ने कहा कि गोद लेने से बच्चा बहुत शीघ्र ही ठीक हो जाएगा और उसका पूरा परिवार आपको आशीर्वाद ही देगा।
एलआईसी के अब तक के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि देश को जब भी किसी आपदा या महामारी का सामना करना पड़ा है, उस कठिन समय में एलआईसी ने सदैव आगे आकर देश और समाज को सहयोग देने के अपने दायित्व का पूरी जिम्मेदारी के साथ निर्वहन किया है। उन्होंने कहा कि एलआईसी ने कोरोना महामारी के कारण काल-कालवित हुए अपने पॉलिसीधारकों के परिजनों को त्वरित मौत दावा का भुगतान सुनिश्चित कर पीड़ित परिवारों को सहारा देने का सराहनीय कार्य किया है। आनंदीबेन ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के इस दौर में जहां लोग घरों में कैद होने को मजबूर हो गये थे, वहीं एलआईसी के अभिकर्ताओं ने लोगों को न केवल बीमा सुरक्षा के विषय में जागरूक किया बल्कि उन्हें अपनी जरूरत के अनुसार बीमा सुरक्षा लेने में सहायता भी की। उन्होंने कहा कि उनके संयुक्त प्रयासों से ही आज आम जन-मानस भी जीवन बीमा के महत्व को समझ सका है।
राज्यपाल ने बीमा योद्धा सम्मान समारोह में उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड से आये बीमा योद्धाओं को बधाई देते हुए कहा कि आप बीमा करने का जो कार्य कर रहे हैं, वह समाज के लिये आवश्यक तो है ही, इसके साथ कुछ और ऐसे सामाजिक कार्य हैं, जिन्हें करने से आपको खुशी मिलेगी। राज्यपाल ने बीमा योद्धाओं को बताया कि कुपोषण जैसी समस्या के समाधान के लिए देश में बड़े स्तर पर आंगनवाड़ी केन्द्र और मिड-डे-मील कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की पहल पर भारत को कुपोषण से मुक्त बनाने के उद्देश्य से महिलाओं और बच्चों में पोषण स्तर को सुधारने पर जोर दिया जा रहा है।