Edited By Anil Kapoor,Updated: 30 Dec, 2025 02:27 PM

Baghpat News: उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में खाप पंचायत के हालिया फैसलों को लेकर समाज में तीखी बहस शुरू हो गई है। खाप पंचायत ने एक फरमान जारी करते हुए 18 साल से कम उम्र के बच्चों के स्मार्टफोन इस्तेमाल पर आपत्ति जताई है। इसके साथ ही सार्वजनिक जगहों...
Baghpat News: उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में खाप पंचायत के हालिया फैसलों को लेकर समाज में तीखी बहस शुरू हो गई है। खाप पंचायत ने एक फरमान जारी करते हुए 18 साल से कम उम्र के बच्चों के स्मार्टफोन इस्तेमाल पर आपत्ति जताई है। इसके साथ ही सार्वजनिक जगहों पर हाफ पैंट पहनने को भी गलत बताया गया है। पंचायत का कहना है कि शादियां मैरिज हॉल में नहीं, बल्कि गांव और घरों में ही होनी चाहिए।
पहनावे और रहन-सहन को लेकर सुझाव
खाप पंचायत ने लड़कों के लिए कुर्ता-पायजामा और लड़कियों के लिए सलवार-कुर्ता पहनने की सलाह दी है। पंचायत का मानना है कि इससे भारतीय संस्कृति और सामाजिक मर्यादा बनी रहेगी। इन फैसलों को कुछ लोग संस्कारों की रक्षा की दिशा में कदम बता रहे हैं, जबकि कई लोग इसे व्यक्तिगत आजादी में दखल मान रहे हैं।
बुद्धिजीवियों ने बताया तानाशाही फैसला
इतिहासकार अमित राय जैन ने खाप के इन फैसलों को “तुगलकी फरमान” करार दिया है। उन्होंने कहा कि आज के समय में मोबाइल फोन जरूरत बन चुका है। पढ़ाई, कामकाज और सामाजिक संपर्क मोबाइल पर ही निर्भर हैं, ऐसे में इस तरह का प्रतिबंध अव्यवहारिक है। उन्होंने साफ कहा कि कानून बनाने का अधिकार सरकार और प्रशासन का है, पंचायतों का नहीं।
खाप के भीतर भी पूरी सहमति नहीं
देशखाप मावी के ठम्बेदार चौधरी यशपाल सिंह ने कहा कि वह इन फैसलों का खुला विरोध नहीं करते, लेकिन किसी पर कुछ थोपना भी सही नहीं है। उनका कहना है कि बच्चों को समझाकर अच्छे संस्कार दिए जाने चाहिए। अगर बच्चों को सही परवरिश मिले, तो वे खुद गलत चीजों से दूर रहते हैं।
राजनीतिक समर्थन और विरोध दोनों
खाप के इन फैसलों को कुछ राजनीतिक समर्थन भी मिलता दिख रहा है। राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के बागपत सांसद राजकुमार सांगवान और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चौधरी यशपाल सिंह ने कहा कि सामाजिक मूल्यों को बचाना आज की जरूरत है। सांसद सांगवान ने खाप के विचारों को समाज को मजबूत करने वाला बताया।
पूरे यूपी में लागू करने की तैयारी?
थांबा पट्टी मेहर देशखाप के चौधरी बृजपाल सिंह और खाप नेता सुभाष चौधरी ने कहा कि गांवों के जिम्मेदार लोगों से बातचीत कर इन फैसलों को लागू करने की कोशिश की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि अन्य खापों से तालमेल बनाकर इन निर्णयों को पूरे उत्तर प्रदेश में लागू करने पर विचार किया जा रहा है।
संतुलन की सलाह
पूर्व छपरौली विधायक सहेंद्र सिंह रमाला ने इस मुद्दे पर संतुलित राय रखी। उन्होंने कहा कि संस्कारों की शुरुआत घर से होती है। पंचायत के सदस्यों को पहले खुद उदाहरण पेश करना चाहिए। साथ ही उन्होंने बच्चों के मोबाइल के संतुलित इस्तेमाल और माता-पिता द्वारा बच्चों के साथ समय बिताने पर जोर दिया। फिलहाल, बागपत की खाप पंचायत के इन फैसलों ने प्रदेशभर में बहस छेड़ दी है—जहां एक तरफ संस्कृति और परंपरा की बात हो रही है, वहीं दूसरी ओर व्यक्तिगत स्वतंत्रता और आधुनिक जरूरतों का सवाल भी खड़ा हो गया है।