राम मंदिर निर्माण पर गहराया विवाद, शंकराचार्यों ने उठाई आवाज़

Edited By Ajay kumar,Updated: 21 Jan, 2020 11:10 AM

उत्तर प्रदेश की संगम नगरी प्रयागराज के माघ मेले में एक तरफ जहां वीएचपी के शिविर में राम मंदिर को लेकर केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल व संतों के बीच चर्चा चल रही है वहीं दूसरी तरफ राम मंदिर का निर्माण करने वाली...

प्रयागराज/अयोध्या: उत्तर प्रदेश की संगम नगरी प्रयागराज के माघ मेले में एक तरफ जहां वीएचपी के शिविर में राम मंदिर को लेकर केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल व संतों के बीच चर्चा चल रही है वहीं दूसरी तरफ राम मंदिर का निर्माण करने वाली ट्रस्ट और इसके मॉडल को लेकर एक नया विवाद सामने आ गया है। शारदा व ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के प्रमुख शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा है कि राम मंदिर के निर्माण की जिम्मेदारी रामालय न्यास को दी जानी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो रामालय न्यास कोर्ट जाएगी।

बता दें कि माघ मेला स्थित शिविर में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि 'रामालय न्यास के 25 न्यासियों का न्यासी मंडल है जो नीति निर्धारण करेगा। कार्यकारी मंडल में सरकार जिसे चाहे उसे न्यास स्वीकार करेगा। रामालय न्यास सनातन हिंदू धर्म के सर्वोच्च धर्माचार्यों का न्यास है। उसकी उपेक्षा कर कोई और ट्रस्ट यदि केंद्र सरकार बनाती है तो उसका विरोध किया जाएगा। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि राम मंदिर का निर्माण नहीं होना है बल्कि उसका जीर्णोद्धार होना है क्योंकि राम मंदिर तो पहले से मौजूद था। इसलिए मध्यप्रदेश में नर्मदा के तट पर मकर संक्रांति से ही मंदिर निर्माण कार्य आरंभ कर दिया गया है। लेकिन राम मंदिर के जीर्णोद्धार से पहले बाल मंदिर का निर्माण होगा।

उन्होंने कहा क़ी शास्त्रों के अनुसार किसी मंदिर का जीर्णोद्धार आरंभ करने के पूर्व एक छोटे अस्थाई मंदिर यानी बाल मंदिर का निर्माण किया जाता है। मंदिर निर्मित होकर दोबारा प्रतिष्ठित कर दिए जाने तक देव विग्रहों को उसी बाल मंदिर में विराजमान किया जाता है जहां उनकी यथाविधि नियमित पूजा-अर्चना होती रहती है। इसी को ध्यान में रखकर चंदन की लकड़ी से निर्मित बाल मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। यह मंदिर स्वर्ण जड़ित होगा।
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स्‍वामी अविमुक्‍तेश्‍वरानंद का कहना है कि 'यदि रामालय ट्रस्ट को अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी मिलती है तो वह अंकोरवाट की तर्ज पर इसे बनाएगा। 1008 फुट ऊंचे शिखर और 1008 किलो सोने से यह मंदिर मंडित होगा। इसके साथ ही एक लाख 8 लोगों के एक साथ दर्शन करने और भोजन प्रसाद ग्रहण करने की सुविधा इसमें होगी। उन्होंने यह भी बताया कि अयोध्या राम मंदिर के लिए देश के प्रत्येक गांव और शहर के हर मोहल्ले से 1 ग्राम सोना संग्रहित करने का लक्ष्य रखा गया है। इस पर 22 जनवरी को प्रयाग में होने वाली संत-भक्त संसद में निर्णय लिया जाएगा। यह संसद शंकराचार्य शिविर में होगी।

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