UP electricity department के कर्मचारियों की हड़ताल को लेकर CM योगी ने की बैठक, बिजली कर्मियों को तत्काल काम पर लौटने के निर्देश

Edited By Ramkesh,Updated: 18 Mar, 2023 02:14 PM

cm yogi held a meeting regarding the strike of electricity department employees

बिजली आपूर्ति बाधित नहीं करने के पूर्व के आदेश के बावजूद प्रदेश के बिजली विभाग के कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने को गंभीरता को देखते हुए सीएम योगी ने अधिकारियों के साथ बैठक की। इस दौरान बिजली विभाग के अधिकारी और ऊर्जा मंत्री एके शर्मा समेत कई अन्य...

लखनऊ: बिजली आपूर्ति बाधित नहीं करने के पूर्व के आदेश के बावजूद प्रदेश के बिजली विभाग के कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने को गंभीरता को देखते हुए सीएम योगी ने अधिकारियों के साथ बैठक की। इस दौरान बिजली विभाग के अधिकारी और ऊर्जा मंत्री एके शर्मा समेत कई अन्य मंत्री मौके पर मौजूद रहे। सीएम योगी ने हड़ताल पर गए बिजली कर्मियों को तत्काल काम पर लौटने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जो भी  विद्युत कर्मचारी काम पर नहीं लौटते है उनके खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाए। बता दें कि इसके पहले ही हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए यूपी पावर कारपोरेशन ने कई संगठनों के 19 पदाधिकारियों को पत्र भेजा है। हालांकि इस मामले में  650 संविदा कर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया है।

बिजली विभाग के कर्मचारी के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू, यूपीपीसीएल ने भी नोटिस भेजा
बिजली आपूर्ति बाधित नहीं करने के पूर्व के आदेश के बावजूद प्रदेश के बिजली विभाग के कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने को गंभीरता से लेते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विभाग के कर्मचारी यूनियन नेताओं के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुक्रवार को शुरू की। अदालत ने इन नेताओं को जमानती वारंट जारी किया और उन्हें 20 मार्च 2023 को अदालत के समक्ष पेश होने को कहा। इस बीच, उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) ने उच्‍च न्‍यायालय के आदेशों का हवाला देकर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे समेत विभिन्न संगठनों के कुल 18 पदाधिकारियों को नोटिस जारी कर तत्काल हड़ताल वापस लेने को कहा है।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों के खिलाफ जमानती वारंट जारी
एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने निर्देश दिया कि इस मामले में आपात स्थिति को देखते हुए विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, लखनऊ द्वारा जमानती वारंट जारी किया जाता है और उन्हें इस अदालत में 20 मार्च 2023 को सुबह 10 बजे पेश होना आवश्यक है। अदालत ने यह निर्देश भी दिया कि संबंधित अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि दोषी अधिकारियों या कर्मचारियों के खिलाफ कानून के मुताबिक उचित कार्रवाई की जाए ताकि इस अदालत द्वारा छह दिसंबर 2022 को पारित आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित हो सके जिसमें निर्देश दिया गया था कि राज्य में बिजली आपूर्ति बाधित नहीं होगी। इस मामले की अगली सुनवाई 20 मार्च तय करते हुए अदालत ने राज्य सरकार को तब तक इस मामले में की गई कार्रवाई की जानकारी देने का निर्देश दिया।

 कर्मचारियों की मांग जायज हो फिर भी पूरे राज्य को बाधा में नहीं डाला जा सकता
अदालत ने कहा, “संबंधित विभाग के अपर मुख्य सचिव तब तक एक हलफनामा प्रस्तुत करेंगे।” उक्त निर्देश पारित करते हुए अदालत ने कहा, “जो कुछ भी हमारे समक्ष प्रस्तुत किया गया है, उसे देखकर लगता है कि एक गंभीर स्थिति उत्पन्न हुई है जिस पर तत्काल ध्यान दिए जाने की जरूरत है। भले ही इन कर्मचारियों की मांग में दम है, तब भी पूरे राज्य को बाधा में नहीं डाला जा सकता।” अदालत ने कहा, “कर्मचारियों का इस तरह का कृत्य बिजली आपूर्ति बाधित नहीं करने के इस अदालत के निर्देश का उल्लंघन है। राज्य की अलग-अलग बिजली उत्पादन इकाइयों में बिजली उत्पादन घटने से राष्ट्रीय हित से समझौता होता है। इसलिए प्रथम दृष्टया यह छह दिसंबर 2022 के इस अदालत के आदेश की अवज्ञा है।

 

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