Edited By Mamta Yadav,Updated: 22 Nov, 2022 01:22 AM
उत्तर प्रदेश के रामपुर शहर में पांच दिसम्बर को होने वाले उपचुनाव में मतदाताओं से वोट डालने की अपील करते हुये भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने सोमवार को कहा कि गांव के गरीब से लेकर किसानों के हितों तक की चिंता भाजपा...
रामपुर: उत्तर प्रदेश के रामपुर शहर में पांच दिसम्बर को होने वाले उपचुनाव में मतदाताओं से वोट डालने की अपील करते हुये भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने सोमवार को कहा कि गांव के गरीब से लेकर किसानों के हितों तक की चिंता भाजपा सरकार कर रही है। उधर, रामपुर बचाने में जुटे सपा के कद्दावर नेता आजम खान को तगड़ा झटका लगा है। खान का दाहिना हाथ रहे मीडिया प्रभारी फसाहत अली शानू सोमवार को भाजपा में शामिल हो गए।
फसाहत अली खां शानू समर्थकों के साथ भाजपा परिवार में शामिल
रामपुर के शाहबाद रोड स्थित सांवरिया पार्क में भाजपा का रामपुर नगर विधानसभा क्षेत्र के बूथ सम्मेलन को संबोधित करते हुये उन्होंने कहा कि रामपुर विधानसभा के उपचुनाव में कमल खिलाकर इतिहास रचने का काम करें। सभी कार्यकर्ता को अपने-अपने बूथों पर डटकर एक-एक वोट डलवाने का कार्य करना है। कोई मतदाता ऐसा न हो, जो अपने मताधिकार का प्रयोग न कर सके। चौधरी ने सपा नेता आजम खां के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खां शानू को उनके समर्थकों के साथ भाजपा परिवार में शामिल किया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार गरीबों के कल्याण, युवाओं को रोजगार और महिलाओं के उत्थान के लिए कार्य कर रही है। उत्तर प्रदेश में गांव के गरीब से लेकर किसानों के हितों तक की चिंता भाजपा सरकार कर रही है। ऐसे में कार्यकर्ताओं को जनता को उनके हितों के लिए चल रही योजनाओं की जानकारी देने के लिए घर-घर पहुंचे। निश्चित ही जनता भाजपा को वोट देगी और रामपुर में इतिहास रचने का काम होगा।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर की थी तल्ख टिप्पणियां
गौरतलब है कि फसाहत अली शानू ने इस साल के शुरू में हुए प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद आजम खां को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाए जाने को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर तल्ख टिप्पणियां की थी। उस दौरान उन्होंने मुसलमानों का दर्द बयां करते हुए कहा था, अब्दुल ही दरी बिछाएगा। अब्दुल ही वोट देगा और अब्दुल ही जेल जाएगा, लेकिन मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ही बनेंगे। उनका यह बयान बड़ा चर्चित रहा था। मीडिया में भी कई दिनों तक छाया रहा। तब माना जा रहा था कि यह बयान आजम खां के इशारे पर दिया गया है और आजम खां सपा से किनारा कर सकते हैं, लेकिन बाद में आजम खां और अखिलेश के बीच की दूरियां कम हो गई।