Swami के बयान पर बोलीं Aparna Yadav-  'राम भारत का चरित्र हैं, राम किसी एक धर्म या मजहब के नहीं'

Edited By Anil Kapoor,Updated: 23 Jan, 2023 10:47 AM

श्रीरामचरितमानस (Shriramcharitmanas) के बारे में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) द्वारा दिए गए बयान के बाद अब भाजपा नेता अपर्णा यादव (Aparna Yadav) की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। स्वामी प्रसाद...

बुलंदशहर(वरुण शर्मा): श्रीरामचरितमानस (Shriramcharitmanas) के बारे में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) द्वारा दिए गए बयान के बाद अब भाजपा नेता अपर्णा यादव (Aparna Yadav) की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) के रामचरितमानस (Ramcharitmanas) पर दिए बयान पर अपर्णा यादव (Aparna Yadav) ने कहा कि शबरी के जूठे बेर खाकर श्रीराम (Shri Ram) ने समस्त कास्ट बैरियर को तोड़ा, जूठे बेर खाकर सतयुग में उन्होंने  एक परम उदाहरण दिया, राम भारत का चरित्र हैं, राम किसी एक धर्म या मजहब के नहीं हैं। आज भी भारत में कहा जाता है बेटा हो तो राम जैसा हो इस तरह की टिप्पणी करना बयान देना अपनी राजनीति गर्म करने के लिए किसी ने भी दिया हो, वह अपने खुद के चरित्र को दिखा रहे हैं।

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Swami Prasad Maurya के रामचरितमानस पर दिए बयान पर Aparna Yadav ने दी अपनी प्रतिक्रिया
जानकारी के मुताबिक, अपर्णा यादव बीते रविवार (22 जनवरी) को बुलंदशहर कोतवाली नगर क्षेत्र के नुमाइश ग्राउंड में हो रहे एक शाम सांवरिया सेठ के नाम कार्यक्रम में पहुंची थी। जहां पर उन्होंने श्रीरामचरितमानस के बारे में समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा दिए गए बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह उनके खुद के चरित्र का दर्पण है वह कितना नीचे स्तर का है।

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जानिए, रामचरितमानस पर क्या बोले थे स्वामी प्रसाद मौर्य?
आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि रामचरितमानस के कुछ हिस्सों पर मुझे आपत्ति है। तुलसीदास की रामायण में कुछ ऐसे अंश हैं, जिन पर हमें आपत्ति है। रामचरितमानस में तुलसीदास ने क्षुद्रों का अपमान किया है। ऐसे में धर्म का नाश हो। उन्होंने कहा कि तुलसीदास की रामायण को प्रतिबंधित करना चाहिए। जिस दकियानूसी सा जीवीहित्य में पिछड़ों और दलितों को गाली दी गई हो उसे प्रतिबंधित होना चाहिए। अगर सरकार तुलसीदास की रामायण को प्रतिबंधित नहीं कर सकती तो उन शोलोक को रामायण से निकालना चाहिए। जिसमें 52% आबादी वाली जनसंख्या के बारे में गलत बातें लिखी गई हैं।

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