राम मंदिर की चाह में 1990 से पत्थर तराश रहा था ये शख्स, लेकिन नहीं सुन पाया फैसला

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 09 Nov, 2019 08:55 PM

this person had been rocking since 1990 in the desire of ram temple

अयोध्या नगरी में विवादित स्थल को लेकर 500 साल पुराने मामले पर आखिरकार आज फैसला हो ही गया। सुप्रीम कोर्ट ने विवादित भूमि रामजन्मभूमि न्यास को सौंपने और मुस्लिम पक्ष को वैकल्पिक 5 एकड़ जमीन पर देने का फैस...

लखनऊः अयोध्या नगरी में विवादित स्थल को लेकर 500 साल पुराने मामले पर आखिरकार आज फैसला हो ही गया। सुप्रीम कोर्ट ने विवादित भूमि रामजन्मभूमि न्यास को सौंपने और मुस्लिम पक्ष को वैकल्पिक 5 एकड़ जमीन पर देने का फैसला सुनाया है। अयोध्या वासियों के अलावा आज कई लोगों ने राम मंदिर का सपना साकार होता देखा है, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनका राम मंदिर देखने का सपना सपना ही रह गया।
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1990 से पत्थर तराश कर भी फैसला नहीं सुन पाया ये शख्स
राम मंदिर की चाह रखने वाले एक ऐसे ही शख्स का जिकर सामने आया है, जिसने मंदिर की आस में 1990 से हजारों टन पत्थरों को अपने हुनर से तराशा। पत्थरों को सिर्फ तराशा नहीं बल्कि उन पत्थरों को राम मंदिर में इस्तेमाल होने की उम्मीद भी रखी। जी हां हम बात कर रहे हैं। अयोध्या के कारसेवकपुरम स्थित राम मंदिर निर्माण कार्यशाला में काम करने वाले मुख्य कारीगर रजनीकांत सोमपुरा की। जिनका दो महीने पहले ही देहांत हो चुका है। जिनके गुजर जाने से मानों पत्थरों के तराशने का काम थम सा गया है। पिछले दो महीने से ये काम बिलकुल ठप है।

थम सा गया पत्थर तराशने का काम
बताया जा रहा है कि कभी राम मंदिर के पत्थरों को तराशने और इन पर बारीक चित्रकारी करने का काम 150 मजदूर करते थे, लेकिन समय के साथ मजदूरों ने काम भी छोड़ दिया। रजनीकांत 1990 में 21 साल की उम्र में गुजरात से अयोध्या आए थे और लगातार इस पर काम करते रहते थे। पिछले दिनों जुलाई में रजनीकांत के निधन के बाद से ही अयोध्या में पत्थरों को तराशने का काम बंद हो गया।

अब तक 65 फ़ीसदी काम भी पूरा हो चूका
इस बारे में जानकारी देते हुए कार्यशाला में विश्व हिंदू परिषद् के प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा कि सितंबर 1990 से ही कार्यशाला में लगातार पत्थर तराशने का काम चल रहा था। अब तक 65 फ़ीसदी काम भी पूरा हो चूका है, लेकिन दो महीने पहले मुख्य मूर्तिकार रजनीकांत की मौत हो गई। तभी से काम रुका हुआ है। तय किया गया है कि नए कारीगरों की नियुक्ति फैसले के बाद से की जाएगी। अब कार्यशाला में काम की शुरुआत राम जन्मभूमि न्यास की बैठक के बाद ही शुरू होगी। उन्होंने बताया कि एक ही मूर्तिकार कई महीनों से अकेले ही काम कर रहा था। अब फैसले के बाद न्यास की होने वाली बैठक में कारीगरों की संख्या बढ़ाने पर फैसला होगा।












 

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