Edited By Ramkesh,Updated: 22 May, 2024 12:42 PM
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कौशाम्बी की चायल सीट से सपा विधायक पूजा पाल इलाहाबाद लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी नीरज त्रिपाठी के लिए प्रचार कर सकती हैं। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि हो सकता है कि पूजा पाल बीजेपी को ज्वाइन कर सकती है।
प्रयागराज: कौशाम्बी की चायल सीट से सपा विधायक पूजा पाल इलाहाबाद लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी नीरज त्रिपाठी के लिए प्रचार कर सकती हैं। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि हो सकता है कि पूजा पाल बीजेपी को ज्वाइन कर सकती है। हालांकि इस बात की कोई भी अधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है। आप को बता दें कि पूजा पाल ने राज्यसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी को वोट देकर सपा के खिलाफ बगावत खड़ा कर दिया था। सपा विधायक ने इसे लेकर सफाई भी दी थी। उन्होंने कहा कि मैंने बगावत नहीं की थी बल्कि अपने मताधिकार का प्रयोग अपनी अंतरात्मा की आवाज पर किया है। उनका यह वोट सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए हृदय से आभार था।
एक सवाल के के जवाब में उन्होंने कहा कि पार्टी से बगावत नहीं की है। उन्होंने कहा कि इस वोट के जरिये मैंने अपने और अपने समाज की ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का धन्यवाद व्यक्त किया है। इस समय उनका आभार जताने का इससे बेहतर कोई दूसरा तरीका नहीं हो सकता था। वजह पूछने पर पूजा पाल भावुक हो गईं। वह कहती हैं कि विधायक पति राजू पाल की दिनदहाड़े हत्या के बाद मैं 18 साल से आतंक के खिलाफ संघर्ष कर रही थी। मेरी किसी ने मदद नहीं की।
योगी ने अतीक के आतंक का किया अंत
उन्होंने कहा कि पति को न्याय दिलाने के लिए परेशान होती रही। अंतत: योगी सरकार ने अतीक और अशरफ के आतंक का अंत कर दिया। शहर पश्चिमी मेरी सीट रही है। 2007 के बाद से मैंने अतीक-अशरफ को वहां वापसी नहीं करने दी। अब योगी राज में आतंक का पूरी तरह सफाया होने पर उन्होंने यह निर्णय लिया।
सरेआम गोलियों से भूनकर राजू पाल हुई थी हत्या
गौरतलब है कि बसपा विधायक राजू पाल के साथ पूजा पाल की शादी 16 जनवरी 2005 को हुई। शादी के नौ दिन बाद ही राजू पाल की सरेराह गोलियां बरसाकर हत्या कर दी गईं। तब माफिया अतीक अहमद के भाई अशरफ और उसके गुर्गों ने बसपा विधायक राजू पाल को सरेआम गोलियों से भूनकर मौत के घाट उतार दिया था। राजू पाल हत्याकांड में उनके दोस्त उमेश पाल मुख्य गवाह थे। 24 फरवरी 2023 को उमेश पाल की भी हत्या कर दी गई थी। उमेश पाल की सुरक्षा में लगे दो सिपाही भी हमले में शहीद हो गए थे। उधर, उमेश पाल की हत्या के बाद कुछ महीने बाद ही अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की मोतीलाल नेहरू मंडलीय अस्पताल के गेट पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।