Edited By Pooja Gill,Updated: 22 Nov, 2024 12:23 PM
संभल: उत्तर प्रदेश के संभल जिले की जामा मस्जिद को हिंदू पक्ष द्वारा अदालत में हरिहर मंदिर बताए जाने के बाद पुलिस ने शुक्रवार को जुमे की नमाज के मद्देनजर यहां सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा कर दिया है और किसी तरह की अराजकता होने पर कड़ी कार्रवाई...
संभल: उत्तर प्रदेश के संभल जिले की जामा मस्जिद को हिंदू पक्ष द्वारा अदालत में हरिहर मंदिर बताए जाने के बाद पुलिस ने शुक्रवार को जुमे की नमाज के मद्देनजर यहां सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा कर दिया है और किसी तरह की अराजकता होने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी जारी की है। संभल के पुलिस अधीक्षक (एसपी) कृष्ण कुमार विश्नोई ने बताया कि शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए पुलिस ने पैदल मार्च कर लोगों को संदेश दिया। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, ‘‘अराजकता फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मौलवी लोग भी यह संदेश दें कि सभी लोग अपनी-अपनी मस्जिद में ही नमाज पढ़ें।''
'सोशल मीडिया पर रखी जा रही है पैनी नजर'
पुलिस अधीक्षक ने कहा, ‘‘सोशल मीडिया पर पैनी नजर रखी जा रही है। दो लोगों को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करने के चलते शांति भंग के तहत पाबंद किया गया है।'' उन्होंने कहा कि ड्रोन से भी नजर रखी जाएगी । वहीं, जिलाधिकारी राजेंद्र पेसीया ने बताया कि जुमे की नमाज के मद्देनजर पुलिस बल और प्रादेशिक आर्म्ड कांस्टेबुलरी (पीएसी) ने फ्लैग मार्च किया और कुछ लोगों को पाबंद भी किया गया है। जिलाधिकारी ने बताया कि किसी भी प्रकार की अराजकता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यहां निषेधाज्ञा लागू की गयी है, कहीं भी पांच से अधिक लोग इकट्ठा न हों, अन्यथा विधिक कार्रवाई की जाएगी।
जानिए क्या है पूरा मामला
बता दें कि संभल जिले की एक अदालत के आदेश पर मंगलवार को जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया। दावा है कि इस मस्जिद का निर्माण किसी मंदिर को खंडित करके किया गया है। याचिकाकर्ता अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत ने जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के लिये ‘एडवोकेट कमीशन' गठित करने के निर्देश दिये। अदालत ने कहा है कि कमीशन के माध्यम से वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी सर्वे कराकर अदालत में रिपोर्ट दाखिल की जाए। कहा था, ‘‘संभल में हरिहर मंदिर हमारी आस्था का केंद्र है। हमारी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां पर दशावतार में से कल्कि का अवतार यहां से होना है। बाबर ने 1529 में मंदिर को तोड़ कर मस्जिद में बदलने की कोशिश की थी। यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित क्षेत्र है। उसमें किसी भी तरह का अतिक्रमण नहीं हो सकता। वहां पर बहुत सारे निशान और संकेत हैं जो हिन्दू मंदिर के हैं। इन सारी बातों को ध्यान रखते हुए अदालत ने यह आदेश जारी किया है।'' उन्होंने कहा था कि इस मामले में एएसआई, उत्तर प्रदेश सरकार, जामा मस्जिद कमेटी और संभल के जिलाधिकारी को पक्षकार बनाया गया है।