सनातन संस्कृति और कोहिनूर की खोज पर आधारित पवन कल्याण की नई फिल्म रिलीज़, जानें कैसी है फिल्म

Edited By Ramkesh,Updated: 24 Jul, 2025 02:49 PM

pawan kalyan s new film based on sanatan culture

पवन कल्याण की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘हरि हर वीरा मल्लू: पार्ट 1- स्वॉर्ड वर्सेज स्पिरिट’ आखिरकार लंबे इंतजार के बाद रिलीज हो चुकी है। पीरियड ड्रामा और ऐतिहासिक एक्शन प्रेमियों के लिए एक भव्य सिनेमाई अनुभव लेकर आई है फिल्म ‘हरि हर वीरा मल्लू: पार्ट 1 –...

यूपी डेक्स: पवन कल्याण की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘हरि हर वीरा मल्लू: पार्ट 1- स्वॉर्ड वर्सेज स्पिरिट’ आखिरकार लंबे इंतजार के बाद रिलीज हो चुकी है। पीरियड ड्रामा और ऐतिहासिक एक्शन प्रेमियों के लिए एक भव्य सिनेमाई अनुभव लेकर आई है फिल्म ‘हरि हर वीरा मल्लू: पार्ट 1 – स्वॉर्ड वर्सेज स्पिरिट’, जिसमें पवन कल्याण ने एक काल्पनिक विद्रोही नायक की भूमिका में दमदार वापसी की है। यह फिल्म दर्शकों को 17वीं सदी के उस अशांत भारत में ले जाती है, जहां मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब का कठोर शासन और जज़िया कर अपने चरम पर थे।

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कहानी: सनातन धर्म की रक्षा और कोहिनूर की तलाश
फिल्म की कहानी शिवाजी महाराज के निधन (1684) के बाद के कालखंड में रची गई है, जब धार्मिक उत्पीड़न और आर्थिक लूट अपने चरम पर थीं। ऐसे समय में वीरा मल्लू नामक एक विद्रोही योद्धा का उदय होता है, जिसका उद्देश्य सनातन संस्कृति की रक्षा और मुगलों की पकड़ से कोहिनूर हीरे को आज़ाद कराना है। फिल्म मुग़ल इतिहास के परंपरागत महिमामंडन से हटकर, प्रतिरोध और साहस की भारतीय दृष्टि प्रस्तुत करती है।

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कलाकारों का अभिनय और निर्देशन का प्रभाव
पवन कल्याण का प्रदर्शन नायक के रूप में बेहद प्रभावशाली है—विशेषकर 18 मिनट के क्लाइमेक्स में उनकी मार्शल आर्ट कोरियोग्राफी फिल्म को चरम पर ले जाती है। बॉबी देओल ने औरंगज़ेब के किरदार को उग्रता के साथ निभाया है, हालांकि कुछ समीक्षकों का मानना है कि उनके किरदार में और गहराई लाई जा सकती थी। निधि अग्रवाल, नरगिस फाखरी, नोरा फतेही और सत्याराज जैसे कलाकारों ने सहायक भूमिकाओं में अच्छा साथ निभाया है। निर्देशक कृष जगरलामुडी और पटकथा लेखक साई माधव बुर्रा ने इतिहास और फिक्शन के बीच संतुलन साधने की कोशिश की है।

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तकनीकी पक्ष: भव्यता और सटीकता का संगम
फिल्म की तकनीकी गुणवत्ता इसकी जान है। एम.एम. कीरवानी का बैकग्राउंड स्कोर और "असुर हननम" जैसे गीत फिल्म को ऊंचाई देते हैं। ज्ञाना शेखर वी.एस. और मनोज परमहंस की सिनेमैटोग्राफी मुग़लकालीन वैभव को जीवंत करती है, जबकि थोटा थरानी का प्रोडक्शन डिज़ाइन दर्शकों को उस युग में पहुंचा देता है। बेन लॉक के निर्देशन में तैयार किए गए वीएफएक्स प्रभावशाली हैं, हालांकि कुछ सीन्स में सीजीआई अपेक्षा से कमतर प्रतीत होते हैं। निक पॉवेल, राम-लक्ष्मण और पीटर हेन की एक्शन टीम ने लड़ाई दृश्यों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाया है।

सांस्कृतिक और वैचारिक गहराई
फिल्म का मुख्य फोकस केवल ऐतिहासिक घटनाओं पर नहीं, बल्कि आध्यात्मिक प्रतिरोध और सनातन मूल्यों की रक्षा पर भी है। यह एक ऐसे नायक की कहानी है, जो धर्म, संस्कृति और अस्मिता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बाज़ी लगा देता है।

पवन कल्याण की व्यक्तिगत प्रतिबद्धता—अपने पारिश्रमिक का एक हिस्सा लौटाना और ऐतिहासिक तथ्यों की सटीकता पर ज़ोर देना—फिल्म के उद्देश्य को और सशक्त बनाते हैं।
रेटिंग: 4/5 स्टार

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