जनजातीय समाज हर कालखंड में सनातन धर्म की रक्षा के लिए खड़ा रहा है: योगी

Edited By Ramkesh,Updated: 18 Jul, 2025 07:06 PM

tribal society has stood up to protect sanatan dharma in every era yogi

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनजातीय समाज को भारत की सनातन परंपरा का आधार बताते हुए कहा कि यह समाज हर कालखंड में देश की रक्षा और संस्कृति के संरक्षण के लिए अग्रिम पंक्ति में खड़ा रहा है। अपने दो दिवसीय वाराणसी दौरे के दौरान शुक्रवार...

वाराणसी: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनजातीय समाज को भारत की सनातन परंपरा का आधार बताते हुए कहा कि यह समाज हर कालखंड में देश की रक्षा और संस्कृति के संरक्षण के लिए अग्रिम पंक्ति में खड़ा रहा है। अपने दो दिवसीय वाराणसी दौरे के दौरान शुक्रवार को यहां जनजातीय गौरव बिरसा मुंडा पर आधारित राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा, “जब भगवान राम वनवास में थे और माता सीता का अपहरण हुआ, तब उनके पास अयोध्या या जनकपुर की सेना नहीं थी। उस समय जनजातीय समाज ने उनके साथ मिलकर रावण के खिलाफ युद्ध लड़ा।

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जनजातीय गांवों को बीजेपी ने राजस्व गांव का दर्जा दिया
उन्होंने कहा, “इसी तरह महाराणा प्रताप ने अरावली के जंगलों में भटकते हुए जनजातीय समाज के सहयोग से अपनी सेना का पुनर्गठन किया और अकबर से युद्ध किया। छत्रपति शिवाजी ने भी वनवासी समाज के सहयोग से हिंदवी साम्राज्य की स्थापना की।” मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों की कमी रही है कि वे जनजातीय समाज तक शासन की सुविधाएं और संवाद नहीं पहुंचा सकीं लेकिन भाजपा सरकार ने 2017 के बाद जनजातीय गांवों को राजस्व गांव का दर्जा दिया, राशन कार्ड, जमीन के पट्टे और पेंशन जैसी सुविधाएं दीं तथा सोनभद्र, चंदौली, मीरजापुर और नेपाल की तराई में जनजातीय समाज को कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा।

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जनजातीय समाज सनातन परंपरा
योगी आदित्यनाथ ने जनजातीय समाज को सनातन परंपरा का सच्चा प्रतिनिधि बताते हुए कहा, “यह समाज वेदों की शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारता है। हम पेड़ों और नदियों की पूजा करते हैं, लेकिन उन्हें काटने या उन पर कब्जा करने में संकोच नहीं करते। लेकिन जनजातीय समाज ने प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर वेदों की शिक्षाओं को जीया है।

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सरकार ने कोल जनजाति को शत-प्रतिशत जोड़ने का काम किया
उन्होंने कहा, “भारत की परंपरा में यह कभी नहीं कहा गया कि मंदिर जाने वाला या ग्रंथ मानने वाला ही हिंदू है। जो मानेगा, वह भी हिंदू है और जो नहीं मानेगा, वह भी हिंदू है। चार्वाक और भगवान बुद्ध ने वेदों को नहीं माना, फिर भी हमारे लिए पूज्य हैं, तो फिर जनजातीय समाज के साथ यह प्रश्न क्यों खड़ा किया जाता है? ” मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित करने की सराहना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने जनजातीय समाज के मन में विश्वास पैदा किया है। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी सरकार ने कोल जनजाति जैसे समुदायों को योजनाओं से शत-प्रतिशत जोड़ने का काम किया है।

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