Edited By Imran,Updated: 10 Oct, 2024 08:03 PM
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2015 में विभिन्न समुदायों के बीच झड़प के दौरान हुए दंगे और आगजनी की घटना से संबंधित 31 आरोपियों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामला बृहस्पतिवार को वापस लेने का आदेश दिया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
कानपुर: उत्तर प्रदेश सरकार ने 2015 में विभिन्न समुदायों के बीच झड़प के दौरान हुए दंगे और आगजनी की घटना से संबंधित 31 आरोपियों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामला बृहस्पतिवार को वापस लेने का आदेश दिया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। कानपुर के फजलगंज थाना क्षेत्र के दर्शनपुरवा में एक धार्मिक पोस्टर के कथित अनादर के कारण दो समुदायों के सदस्यों ने पथराव किया और एक-दूसरे के खिलाफ नारे लगाए।
कानपुर में दंगों के वक्त प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार थी। दर्शनपुरवा पुलिस चौकी के तत्कालीन प्रभारी उपनिरीक्षक बृजेश कुमार शुक्ला ने दंगा भड़काने, आगजनी और सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम (पीपीडी अधिनियम) और आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम की अन्य संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी। जिला सरकारी वकील (अपराध) दिलीप अवस्थी ने बताया कि सभी 31 आरोपियों ने राज्य सरकार को एक लिखित अनुरोध प्रस्तुत किया, जिसमें उनके खिलाफ आपराधिक मामला वापस लेने की मांग की गई थी। मामले को एक समिति को भेजा गया था, जिसने जिला प्रशासन और पुलिस से रिपोर्ट मांगी थी।
अवस्थी ने बताया, “राज्य सरकार ने 31 व्यक्तियों के खिलाफ लंबित मामले को खत्म करने का आदेश जारी किया।” उन्होंने बताया कि लिखित आदेश कानपुर के जिलाधिकारी को भेजा गया, जिसपर यह कार्रवाई हुई।