‘मोदी को किताबें पढ़नी चाहिए तब उनको पता चलेगा कितनी जाहिलियत है उनमें’: इरफ़ान हबीब

Edited By Ajay kumar,Updated: 14 Jan, 2020 03:29 PM

modi should read books then he will know how much he has irfan habib

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में लगातार नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी व एनपीआर को लेकर विरोध प्रदर्शन चल रहा है। यूनिवर्सिटी कैम्पस में कई जगह पर स्टूडेंट्स अलग-अलग गेस्ट...

अलीगढ़: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में लगातार नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी व एनपीआर को लेकर विरोध प्रदर्शन चल रहा है। यूनिवर्सिटी कैम्पस में कई जगह पर स्टूडेंट्स अलग-अलग गेस्ट को बुलाकर इस कानून को लेकर अपना विरोध दर्ज़ करा रहे हैं। साथ ही आम जनता से भी सीधे वार्ता भी कर रहे हैं।

इसी कड़ी में यूनिवर्सिटी के डॉक्टर्स द्वारा जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के ट्रॉमा सेंटर पर आयोजित प्रोटेस्ट में प्रख्यात इतिहासकार इरफान हबीब व सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर शामिल हुए। इरफ़ान हबीब ने पीएम मोदी पर बड़ा निशाना साधते हुए कहा कि उनको कुछ पढ़ाई कर लेनी चाहिए तब उनको पता चलेगा कितनी जाहिलियत है उनमें।
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बता दें कि सीएए, एनपीआर व एनआरसी के विरोध में आयोजित पब्लिक टॉक कार्यक्रम में शामिल हुए प्रख्यात इतिहासकार इरफान हबीब ने मंच से कहा कि देश में टू नेशन थ्योरी सावरकर की देन है। गोड्से और सावरकर बहुत अच्छे दोस्त थे और एक ये लीगल ओपिनियन भी थी की इनके ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं थे। लेकिन एक गतिविधिक सबूत ये था कि गांधी जी की हत्या में इनका हाथ है। उस सावरकर को ये अपना नेता व रहनुमा मान रहे हैं और हो सकता है उसे ये भारत रत्न भी दे दें। उस समय गोलवलकर ने भी कहा था कि मुसलमान यहां रह सकते हैं मगर उनको कोई भी किसी भी प्रकार का अधिकार नहीं दिया जाएगा।

इतिहास कार इरफान हबीब ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी की या अमित शाह की शाह एक पारसी शब्द है इसको भी बदल देना चाहिए। इनकी कोई भी स्पीच आप लोग सुनिए ये लोग मुसलमानों को टारगेट करते रहते हैं। मेहनत मजदूरी करने वाले मुसलमानों को ये दीमक कहते हैं। क्यों कहते हैं ये लोग दीमक? मोदी जी ने अब कहा है कि देश मे जितने भी इतिहास कार हैं वह विदेशी राजाओं या वहीं के लोगों की हिस्ट्री लिखते हैं। हबीब ने कहा कि अब मोदी जी ने कहां से हिस्ट्री पढ़ी है मुझे उनपर बहुत शक है। उनको ये लगता है कि जितने भी इतिहास कार हैं वह सिर्फ़ राजाओं की बातें लिखते हैं। आम लोगों की नहीं लिखते तो मैं उनसे यही कहूंगा कि उनको जाकर कुछ किताबें पढ़ लेनी चाहिए फ़िर उनको पता चलेगा कि उनमें कितनी जाहिलियत भरी हुई है।
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वहीं सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा कि जिस प्रकार से अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी व यूनिवर्सिटी के मॉरिसन कोर्ट हॉस्टल में जो कुछ भी हुआ उसे जानकर हम लोग व हमारी टीम बहुत हैरान है। जिस प्रकार से देश की ऐतिहासिक यूनिवर्सिटी में हमला किया गया। वह बहुत ही हैरान करने वाला है। सीएए भले ही कानून बन गया हो लेकिन वह इसको जनता की कोर्ट में हारते जा रहे हैं। हम मुसलमानों के साथ हैं इसलिए हमें कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए। हम दलितों के साथ हैं हम आदि वासियों के साथ हैं। यूनिवर्सिटी में चल रहे धरना प्रदर्शन में टीचर या वीसी भले ही साथ में न हों मगर हम लोग हमारी लीगल टीम इन लोगों के साथ हमेशा रहेगी इनकी मदद करेगी।

 

 

 

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