लॉकडाउनः ग्रामीणों ने खींची ‘लक्ष्मण रेखा’,कहा- न गांव में कोई आएगा न जाएगा

Edited By Ajay kumar,Updated: 01 Apr, 2020 01:19 PM

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कोरोना वायरस को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश भर में 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की है। ऐसे में कुछ लोग कोरोना के कतरे को जानते हुए भी इससे अंजान बने हुए हैं। वहीं उत्तर प्रदेश का एक गांव लॉकडाउन के दौरान आदर्श बन गया है। जहां ग्रामीणों ने...

आजमगढ़ः कोरोना वायरस को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश भर में 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की है। ऐसे में कुछ लोग कोरोना के खतरे को जानते हुए भी इससे अंजान बनने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं उत्तर प्रदेश का एक गांव लॉकडाउन के दौरान आदर्श बन गया है। जहां ग्रामीणों ने बांस-बल्ली लगाकर 'लक्ष्मण रेखा' खींच दी है। उन्होंने साफ लिखा है कि कोई भी इस 'रेखा' को पार नहीं कर सकता है। ग्रामीणों ने कहा कि कोरोना को हराना है तो लॉकडाउन का सख्ती से पालन करना ही पड़ेगा। हम कोरोना को हराने के लिए ये फैसला लिए हैं।

'हम लॉकडाउन का सख्ती से करेंगे पालन'
बता दें कि मामला सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व आजमगढ़ के सांसद अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र का है। जहां जहानागंज ब्लॉक के सेवटा गांव के लोग खुद लॉकडाउन को सफल बनाने में जुट गए हैं। ग्रामीणों ने बांस-बल्ली लगाकर लक्ष्मण रेखा खींच दी है। उनका कहना है कि अब कोई इस लक्ष्मण रेखा को पार नहीं कर सकता है।ग्रामीणों ने माना है कि यदि हम सभी PM द्वारा घोषित लॉकडाउन का सख्ती से पालन करेंगे तो बहुत जल्द ही कोरोना को हरा देंगे।

कार्य का नेतृत्व करने वाले अखिल पांडेय ने बताया कि कोरोना का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। PM ने खुद कहा है कि इससे बचना है तो लॉकडाउन को मानें इसीलिए हम सब ने मिलकर गांव की सड़क पर बांस, बबूल की डाल आदि लगाकर रास्ता पूरी तरह रोक दिया है। साथ ही दीवारों पर बोर्ड लगा दिया है कि 'कोराना के संक्रमण को देखते हुए बाहरी लोगों का गांव में प्रवेश और गांव के लोगों के बाहर जाने पर पूरी तरह रोक है। लॉकडाउन के दौरान कोई न तो कोई गांव में आएगा और ना ही गांव से बाहर जाएगा। इसे देखकर आस-पास के गांवों के लोग भी यही रणनीति अपनाने पर विचार कर रहे हैं।

वहीं ग्रामीणों ने बताया कि अब किसी भी बाहरी आदमी को गांव में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा और ना ही गांव के लोगों को बाहर जाने दिया जाएगा। यही नहीं अगर कोई आवश्यक वस्तु की खरीद के लिए बाहर जाता भी है तो उसे सेनेटाइज किया जा रहा है। गांव के लोगों के इस प्रयास की हर कोई सराहना कर रहा है।

 

 

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