Edited By Ajay kumar,Updated: 14 Feb, 2023 08:45 PM

सामूहिक दुष्कर्म की आरोपी महिला पर आरोप तय करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि महिला बलात्कार का अपराध नहीं कर सकती है, लेकिन अगर वह सामूहिक दुष्कर्म में सहायता करती है तो उस पर धारा 376 डी के तहत सामूहिक दुष्कर्म का मुकदमा चलाया जा सकता है।
प्रयागराजः सामूहिक दुष्कर्म की आरोपी महिला पर आरोप तय करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि महिला बलात्कार का अपराध नहीं कर सकती है, लेकिन अगर वह सामूहिक दुष्कर्म में सहायता करती है तो उस पर धारा 376 डी के तहत सामूहिक दुष्कर्म का मुकदमा चलाया जा सकता है। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की एकल पीठ ने इस तर्क को खारिज करते हुए दी कि एक महिला पर सामूहिक दुष्कर्म के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।
15 वर्षीय किशोरी से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में हाईकोर्ट ने दिया सुनाया फैसला
याची सुनीता पांडेय को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश- प्रथम, सिद्धार्थनगर ने 15 वर्षीय किशोरी से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में मुकदमे का सामना करने के लिए बुलाया था। शिकायतकर्ता के अनुसार जून 2015 में कुछ लोग उसकी बेटी को बहला-फुसलाकर ले गए और उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज बयान में याची का नाम आरोपपत्र में नहीं था, लेकिन बाद में विपक्षी ने याची को समन देने के लिए जिला अदालत में याचिका दाखिल की थी, जिसे स्वीकार कर लिया गया। इसी समन आदेश को रद्द करने के साथ ही आगे की आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग करते हुए याची ने हाईकोर्ट का रुख किया और यह तर्क दिया कि एक होने के नाते उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 376 डी के तहत कोई अपराध नहीं बनता है, उसे जिला अदालत द्वारा गैरकानूनी रूप से तलब किया गया है।

घटना के समय उपस्थित सभी अभियुक्त दोषी होंगे,
अंत में कोर्ट ने तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला कि ऐसी घटना में अगर एक भी व्यक्ति द्वारा दुष्कर्म किया गया हो तो घटना के समय उपस्थित सभी अभियुक्त दोषी होंगे, भले ही उनमें से एक या अधिक के द्वारा पीड़िता के साथ बलात्कार किया गया हो।