उन्नाव के सीएचसी में कूड़े में पड़ी मिली सरकारी दवाएं, चिकित्सा अधीक्षक ने मांगी रिपोर्ट

Edited By Pooja Gill,Updated: 01 Dec, 2022 04:47 PM

government medicines found lying

उत्तर प्रदेश के जनपद उन्नाव के एक सीएचसी में सरकारी दवाई कूड़े पड़ी दिखी है। उन्नाव के मियागंज सीएचसी में सरकारी दवाओं को कूड़े में फेंकने व जलाने का सिलसिला लगातार जारी है। डॉक्टर बाहर की दवा लिखकर मरीजों...

उन्नावः उत्तर प्रदेश के जनपद उन्नाव के एक सीएचसी में सरकारी दवाई कूड़े पड़ी दिखी है। उन्नाव के मियागंज सीएचसी में सरकारी दवाओं को कूड़े में फेंकने व जलाने का सिलसिला लगातार जारी है। डॉक्टर बाहर की दवा लिखकर मरीजों की जेब ढीली कर रहे हैं। एक माह पूर्व में भी एक्सपायरी डेट की लाखों की सरकारी दवाएं कूड़े में व अधजली मिली थी। सीएमओ ने जांच कर कार्रवाई का आश्वासन दिया था। दो सदस्यीय टीम ने जांच कर रिपोर्ट सीएमओ को भेज दी है। लेकिन किसी पर कार्रवाई कुछ नहीं हुई थी। सीएमओ ने बताया है कि इसकी रिपोर्ट मांगी गई है। चिकित्सा अधीक्षक से डॉक्टर संदीप मिश्रा से उनकी रिपोर्ट प्राप्त होते ही तत्कालीन चीफ फार्मासिस्ट से उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

बता दे कि यह मामला जिले के ब्लाक मियागंज क्षेत्र के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है। यहां पर सीएचसी मियागंज में लगे आरओ प्लांट के पीछे लाखों की दवाएं कूड़े में फेंक दी गयी है। आरओ प्लांट के पीछे कूड़े में आयरन की गोलियां, सिरप और अन्य सरकारी दवाएं पड़ी हैं। जिनका कोई पुरुषाहाल नहीं है। मरीजों में चर्चा है कि, सरकार गरीबों को मुफ्त दवा भेज रही है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी दवा को कूड़े में फेंक रहे हैं और डॉक्टर अपनी जेब भरने के लिए मरीजों को बाहर की महंगी दवा लिख रहे हैं। मामला संज्ञान में आने के बाद सीएमओ ने टीम गठित कर दो सदस्यीय टीम जांच के लिए भेजा था। जांच के नाम पर खानापूर्ति कर मियागंज सीएचसी में तैनात डॉक्टर मरीजों को बाहर से खुलेआम दवा लिख रहे हैं।

रिपोर्ट के बाद होगी कार्रवाई
मियागंज सीएससी में एक पुराने खंडहर भवन में कुछ दवाई पड़ी होने की जानकारी प्राप्त हुई। सीएचसी का निरीक्षण भी किया गया तो वहां पर खंडहर भवन में जनवरी 2020 की एक्सपायरी आयरन टेबलेट पड़ी पाई गई। दवाओं पर कूड़ा भी फेंका जा रहा था। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यह दवाएं काफी समय से वहां पर पड़ी हैं, क्योंकि फंगस लगा हुआ था। एक्सपायरी तारीख देखी गई तो जनवरी 2020 की पाई गई। इसके अतिरिक्त कुछ सेनेटरी पेट्स पाए गए 2012 के मैन्युफैक्चरिंग 2013 के पड़े होंगे। अब इसकी रिपोर्ट मांगी गई है, चिकित्सा अधीक्षक से डॉक्टर संदीप मिश्रा से उनकी रिपोर्ट प्राप्त होते ही तत्कालीन चीफ फार्मेसिस्ट से उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
 

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