शुरुआत हुई थी जमीनी रंजिश से, फिर FIR में नाम आया मृतक का! अब कोर्ट ने फर्जी केस करने वाली महिला को सुनाई 3 साल की सजा

Edited By Anil Kapoor,Updated: 04 Dec, 2025 11:33 AM

fir lodged against deceased person court sentences him to 3 years  imprisonment

Lucknow News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आपसी रंजिश के चलते फर्जी मुकदमे दर्ज कराने का मामला थम नहीं रहा है। ऐसा ही एक अजीब मामला सामने आया है, जिसमें एक महिला ने आपसी रंजिश के चलते मर चुके व्यक्ति के खिलाफ भी FIR दर्ज करवा दी थी। पुलिस की...

Lucknow News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आपसी रंजिश के चलते फर्जी मुकदमे दर्ज कराने का मामला थम नहीं रहा है। ऐसा ही एक अजीब मामला सामने आया है, जिसमें एक महिला ने आपसी रंजिश के चलते मर चुके व्यक्ति के खिलाफ भी FIR दर्ज करवा दी थी। पुलिस की जांच में पता चला कि उस व्यक्ति की करीब 11 साल पहले मौत हो चुकी थी और पूरे आरोप झूठे थे।

कोर्ट ने महिला को दी सजा
कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए महिला को झूठा केस दर्ज कराने के लिए 3 साल की सजा सुनाई। महिला ने जमीन को लेकर हुए पुराने विवाद के चलते एससी-एसटी एक्ट के तहत आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज कराया था।

महिला के झूठे आरोप
महिला ने अहमद, हसीबुल, अमिताभ तिवारी, तारा बाजपेई और वशिष्ठ तिवारी समेत अन्य लोगों पर मकान कब्जा करने, जातिगत टिप्पणी करने, जानमाल की धमकी देने और मारपीट करने का आरोप लगाया था। महिला के आरोप पर वजीरगंज थाने में मामला दर्ज किया गया।

जांच में खुलासा: मामला पूरी तरह झूठा
जांच एसीपी चौक को सौंपी गई। जांच में सामने आया कि विवाद ग्राम खरिया सेमरा की 2000 वर्ग फीट जमीन को लेकर था। जिस मकान का जिक्र केस में किया गया, उस पर आरोपी हसीबुल रहमान पहले से ही रहता था। जांच में यह भी पता चला कि घटना वाले दिन महिला और आरोपी किसी भी घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे। नामजद आरोपी वशिष्ठ तिवारी की साल 2014 में ही मौत हो चुकी थी, फिर भी उसका नाम FIR में डाला गया था। इस तरह महिला के सारे आरोप झूठे साबित हुए।

कोर्ट का निर्देश
जांच अधिकारी ने आरोपियों को राहत दी और महिला के खिलाफ मामला कोर्ट में भेजा। कोर्ट ने आदेश दिया कि केवल FIR दर्ज होने से मामला साबित नहीं होता। पुलिस की विवेचना और चार्जशीट दाखिल होने के बाद ही पीड़ित को किसी प्रकार की प्रतिकर या राहत दी जानी चाहिए। कोर्ट ने महिला को 3 साल की सजा सुनाई और पुलिस कमिश्नर व डीएम को निर्देश दिया कि अगर महिला को कोई राहत राशि दी गई है तो उसे तुरंत वापस लिया जाए।
 

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