पूर्वांचल में बढ़ रहा कोरोना संकट, लोग बोले- चुनाव टालना बेहतर

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 05 Jan, 2022 05:09 PM

corona crisis rising in purvanchal people said

नए वैरिएंट के साथ कोरोना के बढ़ते संक्रमण का दायरा उत्तर प्रदेश के पूर्वी इलाकों में भी तेजी से पैर पसार रहा है। इसके मद्देनजर गोरखपुर मंडल में समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने जनहित का हवाला देकर...

देवरिया: नए वैरिएंट के साथ कोरोना के बढ़ते संक्रमण का दायरा उत्तर प्रदेश के पूर्वी इलाकों में भी तेजी से पैर पसार रहा है। इसके मद्देनजर गोरखपुर मंडल में समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने जनहित का हवाला देकर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव टालने को श्रेयस्कर बताया है। एक तरफ चुनाव आयोग द्वारा बुधवार को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन किए जाने के साथ ही चुनाव कार्यक्रम जल्द ही घोषित होने की सुगबुगाहट तेज हो गयी है। वहीं, कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखे हुये समाज के विभिन्न वर्गों के लोग चुनाव टालने को ही श्रेयस्कर विकल्प बता रहे हैं। लोगों की दलील है कि चुनाव के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन सुनिश्चित कराना संभव नहीं है। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड एवं पंजाब सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।

इन परिस्थितियों में चुनाव कराने के बारे में गोरखपुर मंडल में देवरिया के वरिष्ठ अधिवक्ता शांति स्वरूप दुबे ने बुधवार को बताया कि चुनाव प्रक्रिया में मतदाता अहम कड़ी होता है। ऐसे में चुनाव आयोग को कोरोना संक्रमण के कारण चुनाव टालने के फैसले पर विभिन्न पक्षकारों का पक्ष जानने के दौरान मतदाताओं की राय भी लेनी चाहिये। दुबे ने कहा कि कोरोना के नये वैरिएंट का संक्रमण बहुत तेजी से फैलता है। ऐसे में आयोग को जन स्वास्थ्य की चिंता करते हुये तथा पिछले अनुभव से सबक लेते हुये चुनाव टालना श्रेयस्कर है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव से सरकार और चुनाव आयोग को कोरोना प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन कराना होगा।

गोरखपुर में शिक्षक राम जियावन पाण्डेय ने भी सुझाव दिया है कि आयोग को जन स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी हिये। गोरखपुर के ही सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य गंगेश नारायण मिश्रा का कहना है कि पिछले एक महीने में विभिन्न दलों के नेताओं की जनसभाओं में उमड़ रही भारी भीड़ को देखते हुए चुनाव आयोग द्वारा कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन सुनिश्चित कराना मुमकिन नहीं लगता है। मिश्रा ने कहा कि जनहित को देखते हुये अव्वल तो चुनाव टाल देना चाहिये या फिर चुनाव घोषित करने से पहले जनता को कोरोना प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन होने के इंतजामों का पालन लागू करा कर दिखाना चाहिये। जिससे लोगों में विश्वास पैदा हो सके और वे निर्वाचन प्रक्रिया में हिस्सा ले सकें।

देवरिया के वरिष्ठ पत्रकार एमपी विशारद ने कहा कि पिछले अनुभवों और मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए चुनाव के दौरान कोविड बचाव गाइड लाइन का कड़ाई से पालन असंभव दिख रहा है। विशारद का कहना है कि कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर उत्पन्न होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। ऐसे में चुनाव कराने का साफ मतलब होगा लोगों को महारी के दलदल में धकेलना। गोरखपुर मंडल में कुशीनगर के व्यापारी संजय अग्रवाल ने भी बेकाबू होते हालात का हवाला देते हुये कहा है कि अगर चुनाव कराये जाने की मजबूरी है तो आयोग को दिव्यांगों और 80 साल से अधिक उम्र वाले बुजुर्गों की तर्ज पर सभी वरिष्ठ नागरिकों को पोस्टल बैलिट की श्रेणी में शामिल करना चाहिये।

उन्होंने मौजूदा परिस्थितियों में पोस्टल बैलेट को अधिक उपयोगी बताते हुए इसके इस्तेमाल के दायरे को बढ़ाये जाने का सुझाव दिया है। देवरिया के वरिष्ठ अधिवक्ता तथा कलेक्ट्रेट अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष हरेंद्र श्रीवास्तव ने भी कहना है कि सरकार तथा चुनाव आयोग को कोरोना को देखते विधानसभा चुनाव को कुछ माहतक टालना श्रेयस्कर होगा। उन्होंने चुनाव टालने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा हाल ही में दिये गये सुझाव का भी हवाला देते हुये कहा कि अब तो अदालतों में सुनवाई भी ऑनलाइन करनी पड़ रही है। 

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