'आर्थिक आधार पर दिया जाए SC-ST-OBC को सरकारी योजनाओं का लाभ' की याचिका पर हाईकोर्ट ने कहा- नीतिगत मामलों में नहीं दे सकते दखल

Edited By Ajay kumar,Updated: 06 Jul, 2024 08:50 PM

cannot interfere in policy matters highcourt

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने एक निर्णय में कहा है कि वह ऐसा आदेश नहीं दे सकती कि केंद्र व राज्य सरकार एससी, एसटी, ओबीसी या अल्पसंख्यक होने के आधार पर नहीं बल्कि आर्थिक आधार पर लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ दें।

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने एक निर्णय में कहा है कि वह ऐसा आदेश नहीं दे सकती कि केंद्र व राज्य सरकार एससी, एसटी, ओबीसी या अल्पसंख्यक होने के आधार पर नहीं बल्कि आर्थिक आधार पर लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ दें। न्यायालय ने कहा कि यह नीतिगत मामला है और अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। न्यायालय ने आगे कहा कि यदि याची चाहें तो समस्त दस्तावेजों के साथ वे अपनी बात सरकार या फिर सांसद-विधायकों के समक्ष रख सकते हैं। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि कोर्ट के हाथ नीतिगत मामलों में बंधे होते हैं और यह क्षेत्राधिकार विधायिका अथवा कार्यपालिका को ही प्राप्त है। 

आर्थिक आधार पर ही लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ देने की की गई थी मांग 
यह निर्णय न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने सत्य नारायण शुक्ला व अन्य की ओर से वर्ष 2018 में दाखिल जनहित याचिका पर शुक्रवार को पारित किया। याचिका में मांग की गयी थी कि जाति या धर्म के आधार पर सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाना संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत प्रदत्त समानता के अधिकार का सरासर उल्लंघन है लिहाजा सम्बंधित सरकारों को आदेश दिया जाए कि मात्र आर्थिक आधार पर ही लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ प्रदान करें।

याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से दी गई थी ये दलील 
वहीं याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई थी कि सरकार ने सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक आधार पर लोगों के लिए कई योजनाएं चलाई हैं। कहा गया कि जाति और धर्म के आधार पर पहले चलायी गयी समाजवादी पेंशन स्कीम को बंद कर दिया गया और वर्तमान में आय के आधार पर योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। कहा गया कि वर्तमान में राज्य सरकार जो भी लाभकारी योजनाएं चला रही है उनका लाभ जाति या धर्म के आधार पर नहीं दिया जा रहा है।
 

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