'हम कूड़ादान नहीं हैं', जज यशवंत वर्मा के इलाहाबाद तबादले पर बार एसोसिएशन का तीखा रूख

Edited By Purnima Singh,Updated: 21 Mar, 2025 05:39 PM

bar association takes strong stand on transfer of judge yashwant to allahabad

दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के बंगले में आग लगने के बाद वहां कथित तौर पर भारी मात्रा में नकदी मिलने और उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा न्यायमूर्ति वर्मा का इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरण करने की घटना पर हाईकोर्ट बार...

प्रयागराज : दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के बंगले में आग लगने के बाद वहां कथित तौर पर भारी मात्रा में नकदी मिलने और उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा न्यायमूर्ति वर्मा का इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरण करने की घटना पर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, इलाहाबाद ने कहा है कि “हम कूड़ादान नहीं हैं।” 

आग बुझाने आए अग्निशमन विभाग को मिले 15 करोड़ रुपये
शुक्रवार को यहां जारी हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की विज्ञप्ति में कहा गया है, “आज हमें ज्ञात हुआ कि माननीय उच्चतम न्यायालय ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को भ्रष्टाचार में संलिप्तता के आधार पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्थानांतरित कर दिया है।” विज्ञप्ति में कहा गया “वर्मा के बंगले में लगी आग बुझाने आए अग्निशमन विभाग को 15 करोड़ रुपये मिले हैं जिसे समाचार पत्रों में प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित किया गया है। न्यायमूर्ति वर्मा के बंगले में आग लगने के बाद परिजनों ने अग्निशमन विभाग और पुलिस को सूचित किया। आग बुझाए जाने के बाद पुलिस को एक कमरे में 15 करोड़ रुपये की नकदी मिली।” 

2021 में न्यायमूर्ति वर्मा का स्थानांतरण दिल्ली उच्च न्यायालय किया गया
इसमें आगे कहा गया, “उच्चतम न्यायालय ने तत्काल इस मामले का संज्ञान लिया और कॉलेजियम ने माननीय न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को वापस इलाहाबाद उच्च न्यायालय भेजने का सर्वसम्मति से निर्णय किया। न्यायमूर्ति वर्मा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीश बनाया गया था और अक्टूबर, 2021 में उनका स्थानांतरण दिल्ली उच्च न्यायालय कर दिया गया।” बार एसोसिशन ने कहा, “उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम के इस निर्णय से यह गंभीर प्रश्न उठता है कि क्या इलाहाबाद उच्च न्यायालय कूड़ादान है? यह मामला तब और महत्वपूर्ण हो जाता है जब हम वर्तमान स्थिति की समीक्षा करते हैं।” 

एसोसिएशन ने कहा, “इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की कमी है और इस सतत समस्या के बावजूद कई वर्षों से नए न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं की गई है। यह गंभीर चिंता का विषय है कि बार के सदस्यों की न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति करते समय बार से कभी परामर्श नहीं किया गया।” 

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