धन्यवाद प्रस्ताव पर योगी का जवाब झूठ का पुलिंदा: लल्लू

Edited By Ajay kumar,Updated: 20 Feb, 2020 09:41 AM

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उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने बुधवार को कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का राज्य विधानसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर दिया गया जवाब झूठ का पुलिन्दा, अहंकार की पराकाष्ठा और तथ्यहीन है।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने बुधवार को कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का राज्य विधानसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर दिया गया जवाब झूठ का पुलिन्दा, अहंकार की पराकाष्ठा और तथ्यहीन है। उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री का कथन कि उनकी सरकार ने मार्च 2017 के बाद दो लाख पचास हजार युवाओं को नौकरियां दी हैं और उसमें आरक्षण के नियम का पूरी तरह पालन किया गया है, पूरी तरह असत्य और गुमराह करने वाला है क्येांकि इतनी संख्या में सरकारी नौकरियां दिये जाने का साक्ष्य न तो सरकार के पास है और न ही किसी संस्था के पास है। यह विपक्ष और बेरोजगार युवाओं का अपमान है।

लल्लू ने कहा कि श्री योगी ने कानून व्यवस्था पर किया गया दावा भी गुमराह करने वाला है। बलात्कार, लूट, हत्या जैसी जघन्य घटनाएं सरकार की कार्यप्रणाली की गवाह हैं। शाहजहांपुर , अयोध्या, कानपुर, कानपुर देहात, गोण्डा और गोरखपुर समेत लगभग हर जिले में बलात्कार की घटनायें समाचारपत्रों की सुर्खियां बन रही हैं। कानपुर देहात में दबंगों द्वारा भीम कथा के आयोजकों की पिटाई करना, घर में घुसकर महिलाओं एवं बच्चों को पीटना, प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कुछ महीने के अंदर ही हिन्दू संगठन से जुड़े दो-दो प्रदेश स्तरीय नेताओं की हत्या, लखनऊ कचेहरी में बम से मारने की घटना, प्रयागराज एवं लखनऊ में वकीलों की गोली मारकर हत्या, यह सब घटनाएं कानून व्यवस्था के नाम पर बदनुमा दाग हैं।       

उन्होने कहा कि सीएए/एनआरसी/एनपीआर के विरोध में पूरे प्रदेश के लगभग हर जिले में हुए विरोध प्रदर्शनों पर जिस बर्बरता के साथ पुलिस प्रशासन ने कार्यवाही की है, लोगों पर पुलिस ने गोली चलाई जिसमें तमाम लोगों की जानें गयीं। महिलाओं और बच्चों के साथ बर्बर कार्यवाही की गयी तथा तमाम धाराएं लगाकर जेल भेजा गया। यह असहमति को क्रूरता से कुचलने जैसा है।        

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि उत्तर प्रदेश में शांतिपूर्ण प्रदर्शनों पर की गयी पुलिसिया ताण्डव के खिलाफ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में की गयी तथ्यपूर्ण शिकायत पर खुद मानवाधिकार आयोग ने पुलिस और प्रशासन से जवाब तलब किया है तथा राज्य सरकार द्वारा लोगों पर लगाये गये जुर्माने पर उच्च न्यायालय ने रोक लगाकर यह स्पष्ट कर दिया है कि यहां कानून का शासन नहीं है। 

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