Prayagraj News: जिन घाटों पर चिताएं सजती थीं, दाह संस्कार होते थे...वहां अब कब्रिस्तान बन गए हैं!

Edited By Imran,Updated: 06 Jun, 2023 01:56 PM

the ghats on which funeral pyres used to be decorated have now

Prayagraj News: संगम नगरी प्रयागराज में गंगा का किनारा एक बार फिर कब्रिस्तान में तब्दील होता जा रहा है। यहां की रेत में बड़ी संख्या में शवों को दफन किया जा रहा है।

Prayagraj News: संगम नगरी प्रयागराज में गंगा का किनारा एक बार फिर कब्रिस्तान में तब्दील होता जा रहा है। यहां की रेत में बड़ी संख्या में शवों को दफन किया जा रहा है। गंगा किनारे के जिन घाटों पर चिताएं सजती थीं, दाह संस्कार होते थे, वहां बड़ी संख्या में शवों को दफन किया जा रहा है।  इतना ही नहीं, हैरान करने बाली बात यह है कि सरकार भी इस पर कोई एक्शन नहीं ले रही है।  हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेशों की धज्जियां उड़वा रहा है। 

गंगा किनारे दफन किए जा रहे शवों का खजीरा तब देखने को मिला जब नदी में पानी भर जाएगा। शव कब्र से बाहर आकर गंगा में बहने लगेंगे और नदी को प्रदूषित करेंगे। ये लाखों लोगों की जिंदगी और उनकी सेहत के लिए खतरे का सबब बनेंगे। फिर यूपी से लेकर बिहार तक गंगा कि घाटों में शव बहेंगे तो कोरोना काल की तरह फइर से हायतौबा मचेगी। 

कौन लोग हैं जो शव को कर दफन?
मिली जानकारी के अनुसार, मृत्यु होने के बाद अपने परिजनों के शव को लेकर प्रयागराज तो आते हैं, लेकिन आर्थिक संकट होता है और वह पैसों को बचाने के लिए दाह संस्कार के बजाय गंगा में कब्र तैयार कर शवों को दफन कर देते हैं। दाह संस्कार करने में हजारों रूपये का खर्च आता है, जबकि गरीब लोग खुद अपने हाथों ही कब्र खोदकर शव दफना देते हैं। भू समाधि देने के बाद उस पर फूल-रामनामी चादर व चुनरी चढ़ाकर वापस चले जाते हैं। 

आपको बता दें कि यहां प्रयागराज के साथ यूपी के आसपास के जिलों से भी लोग अंतिम संस्कार करने के लिए आते हैं। सनातन परंपरा में दाह संस्कार के साथ ही शवों को कब्र बनाकर उनमे दफन किये जाने की भी परंपरा है, लेकिन हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के तमाम आदेश है कि गंगा को प्रदूषण से बचाने के लिए उसके किनारे शवों को कतई न दफनाया जाए।

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