Edited By Pooja Gill,Updated: 08 Jun, 2025 09:43 AM

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रयागराज के महाकुंभ में मौनी अमावस्या के शाही स्नान (29 जनवरी) की रात हुई भगदड़ में मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा देने में विलंब पर उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है...
प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रयागराज के महाकुंभ में मौनी अमावस्या के शाही स्नान (29 जनवरी) की रात हुई भगदड़ में मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा देने में विलंब पर उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है। उदय प्रताप सिंह नाम के एक व्यक्ति की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति संदीप जैन की अवकाश पीठ ने कहा कि सरकार एक बार मुआजवा घोषित कर देती है तो उसका समय पर और सम्मानजनक तरीके से भुगतान के लिए वह बाध्य है। अदालत ने महाकुंभ मेले में हुई भगदड़ में मृतक का शव सरकारी मेडिकल कॉलेज द्वारा बिना पोस्टमार्टम किए उसके परिजनों को सौंपने पर भी चिंता जताई।
'मुआवजे का भुगतान करना सरकार का कर्तव्य है'
उच्च न्यायालय ने कहा, “यह चिंताजनक है कि याचिकाकर्ता की पत्नी का शव उसके बेटे को पांच फरवरी, 2025 को सौंपा गया और चार महीने बीत गए, लेकिन सरकार द्वारा घोषित मुआवजे के एक भी हिस्से की पेशकश याचिकाकर्ता को नहीं की गई है।” राज्य सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने दलील दी कि चूंकि याचिकाकर्ता ने दावा पेश नहीं किया है, इस पर विचार करने का चरण नहीं आया है। इस पर अदालत ने कहा, “प्रथम दृष्टया हम इस रुख को समर्थनीय पाते हैं और इसमें नागरिकों की दुर्दशा के प्रति उदासीनता की बू आ रही है। पीड़ित परिवारों को अत्यंत अनुग्रह और गरिमा के साथ मुआवजे का भुगतान करना सरकार का कर्तव्य है।”
'सरकार अपने नागरिकों की ट्रस्टी है'
अदालत ने कहा, “एक बार मृतक के परिजनों की जानकारी सरकार को हो जाती है तो पीड़ित परिवारों को पैसे की भीख मांगने के लिए कहना, सरकार की ओर से बहानेबाजी प्रतीत होता है और वह भी तब जब पीड़ित परिवार बहुत दूर से आता हो और उसे अपूर्णीय क्षति हुई हो।” अदालत ने कहा, “सरकार अपने नागरिकों की ट्रस्टी है और वह न केवल उनके जीवन की रक्षा करने, बल्कि उन्हें परिहार्य नुकसान से बचाने के लिए बाध्य है। यह निर्विवादित है कि कुंभ मेला का प्रबंधन सरकार के हाथ में था न कि किसी अन्य के हाथ में।” अदालत ने दिए अपने आदेश में राज्य के अधिकारियों को हलफनामा दाखिल कर मुआवजे के लिए प्राप्त कुल दावों, जिन दावों पर निर्णय किए गए उनकी संख्या और लंबित दावों की संख्या का विवरण उपलब्ध कराने को कहा।