अक्षय तृतीया पर 2 लाख भक्तों ने किए बांके बिहारी के दर्शन, श्रद्धालुओ को कराए गए चरण दर्शन

Edited By Ajay kumar,Updated: 11 May, 2024 06:08 PM

ramlala was offered 11 thousand fruits on akshaya tritiya

प्राण-प्रतिष्ठा के बाद पहली बार राम मंदिर में अक्षय तृतीया का पर्व बड़े ही उल्लास के साथ मनाया गया। मंदिर परिसर को तरह-तरह के फूलों से सजाया गया। गर्भगृह के मुख्य द्वार पर फलों की लड़ियां मंदिर की भव्यता को बढ़ा रही थीं।

मथुरा: अक्षय तृतीया के अवसर पर शुक्रवार को बांके बिहारी मंदिर में भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। करीब दो लाख भक्तों ने बांके बिहारी के चरण दर्शन किए। सुबह बांके बिहारी को चंदन का लेप लगाया गया। फिर श्रृंगार हुआ। साल में केवल आज ही के दिन बांके बिहारी के सभी अंगों पर चंदन लगाया जाता है। भक्तों को उनके चरण दर्शन भी कराए जाते हैं। चरण दर्शन भी साल में सिर्फ आज ही के दिन कराए जाते हैं। शुक्रवार को बांके बिहारी मंदिर के पट सुबह 5 बजे खुले। भीड़ को नियंत्रित करने नको पुलिस ने मंदिर के आसपास और चौक-चौराहों पर बंदोबस्त किए हैं। जगह-जगह पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं और बैरिकेडिंग लगाई गई है। रूट डायवर्जन के तहत बाहरी वाहनों का 11 मई तक प्रवेश बंद कर दिया गया है। बांकेबिहारी मंदिर के प्रबंधक मुनीश शर्मा ने बताया कि गुरुवार को ही अनुमानित दो लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच गए थे। अगले तीन दिन में करीब आठ लाख और लोगों के आने का अनुमान है।

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अक्षय तृतीया पर रामलला को लगा 11 हजार फलों का भोग
अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा के बाद पहली बार राम मंदिर में अक्षय तृतीया का पर्व बड़े ही उल्लास के साथ मनाया गया। मंदिर परिसर को तरह-तरह के फूलों से सजाया गया। गर्भगृह के मुख्य द्वार पर फलों की लड़ियां मंदिर की भव्यता को बढ़ा रही थीं। सुबह श्रृंगार के बाद रामलला का विशेष पूजन अर्चन किया गया और महाराष्ट्र के रामभक्त विनायक सेठ भालचंद्र कांची परिवार के द्वारा विशेष प्रसाद का प्रबंध किया गया।

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अक्षय तृतीया के दिन जो भी काम किया जाता है वह कभी नष्ट नहीं होताः सत्येंद्र दास 
ट्रस्ट की अनुमति के बाद ट्रक में मौसमी फल राम मंदिर पहुंचा। फल रामलला को समर्पित किए गए, जिसमें सबसे अधिक आम शामिल था। 11 हजार फलों का भोग लगाया गया। मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने दोपहर 12 बजे रामलला की आरती की। पूजन के बाद पहला भोग आम का लगाया गया, जिसका प्रसाद आने वाले सभी भक्तों में वितरित किया गया। सत्येंद्र दास ने कहा कि अक्षय तृतीया के दिन जो भी काम किया जाता है वह कभी नष्ट नहीं होता। पूरी-सब्जी, खीर और मिष्ठान का भी भोग लगाया गया।

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