Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 17 Feb, 2021 01:39 PM
नाम किसी भी इंसान की पहचान होता है, लेकिन अगर ये नाम किसी कारण मिट्टी में मिल जाए तो ऐसे लोगों ना नाम लेना भी लोग मुनासिब नहीं समझते है। ऐसी ही एक कहानी अमरोहा की है। जहां हसनपुर क्षेत्र के गांव के बावनखेड़ी गांव में अप्रैल 2008 के बाद से जो भी बेटी...
अमरोहा: नाम किसी भी इंसान की पहचान होता है, लेकिन अगर ये नाम किसी कारण मिट्टी में मिल जाए तो ऐसे लोगों ना नाम लेना भी लोग मुनासिब नहीं समझते है। ऐसी ही एक कहानी अमरोहा की है। जहां हसनपुर क्षेत्र के गांव के बावनखेड़ी गांव में अप्रैल 2008 के बाद से जो भी बेटी पैदा हुई उसका नाम शबनम नहीं रखा गया। इसके पीछे का कारण सुनकर हर किसी की रूह कांप जाती है।
चलिए आपकों विस्तार से बताते हैं। दरअसल, 15 अप्रैल 2008 काली रात को बावनखेड़ी गांव में पेशे से शिक्षक शौकत अली की इकलौती बेटी शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर ऐसी क्रूरता की, जिसे सुनकर और देखकर पूरे देश में सनसनी फैल गई। शबनम ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर माता-पिता और 10 माह के भतीजे समेत परिवार के 7 लोगों का सिर कुल्हाड़ी से काटकर घाट उतार दिया था। इस वारदात के बाद परिवार में अगर कोई बचा था तो वह शबनम और उसके पेट में पल रहा 2 माह का बेटा ही थे।
इकलौती बेटी द्वारा खूनी खेल का मंजर देखकर गांव के लोगों को शबनम से इतनी नफरत हो गई कि अब इस गांव में कोई अपनी बेटी का नाम शबनम रखना ही नहीं चाहता। यही कारण है कि तब से लेकर आज तक किसी भी बेटी का नाम शबनम नहीं रखा गया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने शबनम को फांसी सजा सुनाई है।