Edited By Ramkesh,Updated: 06 Aug, 2022 02:19 PM
नहरों और यमुना में दूषित पानी के प्रवाह को रोकने के लिए दायर याचिका पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने नोएडा विकास प्राधिकरण पर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। वहीं दिल्ली जल बोर्ड पर भी 50 करोड़ का जुर्माना लगा है। NGT ने दिल्ली और उत्तर...
नोएडा: नहरों और यमुना में दूषित पानी के प्रवाह को रोकने के लिए दायर याचिका पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने नोएडा विकास प्राधिकरण पर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। वहीं दिल्ली जल बोर्ड पर भी 50 करोड़ का जुर्माना लगा है। NGT ने दिल्ली और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को संबंधित कार्रवाई की रिपोर्ट भी तलब की है। दरअसल, इस मामले में कुसुम गुप्ता ने एक जनहित याचिका दायर किया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि सिंचाई नहर, यमुना व गंगा में औद्योगिक क्षेत्रों और घनी आबादी वाले इलाकों से प्रदूषित पानी डालने से रोकने में नाकामी के लिए नोएडा, दिल्ली जल बोर्ड व अन्य एजेंसियों को जिम्मेदार ठहराया था। गुप्ता ने बताया, अलग-अलग स्रोतों से 215 एमएलडी दूषित पानी नोएडा सेक्टर-11, 137, 51, 52, 49, 168 से होकर यमुना और बाद में गंगा में पहुंचता है।
याचिकाकर्ता ने एनजीटी को बताया कि अपशिष्ट जल नहर और यमुना में प्रवाहित करने से आसपास के 21 किलोमीटर क्षेत्र के 5 लाख की आबादी को वायु और जल प्रदूषण के कारण गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। स्वच्छ पानी के लिए बायो- ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) भी तय मानकों से कई गुना अधिक है। नोएडा प्राधिकरण के 30 नाले और दिल्ली जल बोर्ड के तीन नाले व खेड़ा विकास परिषद के एक नाले से प्रवाहित होने वाला दूषित पानी पिछले कई वर्षों से गंभीर समस्या बना हुआ है। इस पर अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी।